‘जब चले थे तो पता न था कि घर के इतने पास आकर दो साथियों का सफ़र ऐसे ख़त्म हो जाएगा’

देशव्यापी लॉकडाउन के बीच हैदराबाद से आ रहे उत्तर प्रदेश के महराजगंज के मज़दूरों का एक समूह 10 मई को कानपुर से एक बालू लदे ट्रक में सवार होकर घर की ओर निकला था, लेकिन गोरखपुर के सहजनवां थाना क्षेत्र के पास यह ट्रक अनियंत्रित होकर पलट गया, जिसमें दो श्रमिकों की जान चली गई.

लॉकडाउन: घर भेजे जाने की मांग को लेकर मज़दूरों ने जयपुर में किया प्रदर्शन

जयपुर के शास्त्रीनगर इलाके के नहरी का नाका इलाके में हुआ प्रदर्शन. प्रवासी मज़दूरों ने दावा किया कि पुलिस ने प्रदर्शन के दौरान उन्हें पीटा, लेकिन पुलिस ने इस बात से इनकार किया है.

दिल्ली से बिहार लौटे मजदूरों का किराया देने से बिहार सरकार ने क्यों इनकार कर दिया?

दिल्ली सरकार ने बिहार के 1200 प्रवासी मजदूरों की सूची बनाकर उनका किराया रेलवे को सौंप दिया और इसका पैसा सीधे बिहार सरकार से मांगा. हालांकि, बिहार सरकार ने दिल्ली सरकार द्वारा मांगे गए करीब 6.5 लाख रुपये को वापस करने से इनकार कर दिया है.

लॉकडाउन: ‘जिस तकलीफ़ से घर लौटा हूं, अब से काम के लिए दूसरे राज्य जाने की हिम्मत नहीं होगी’

श्रमिक स्पेशल ट्रेन के किराये को लेकर सरकार के विभिन्न दावों के बीच गुजरात से बिहार लौटे कामगारों का कहना है कि उन्होंने टिकट ख़ुद खरीदा था. उन्होंने यह भी बताया कि डेढ़ हज़ार किलोमीटर और 31 घंटे से ज़्यादा के इस सफ़र में उन्हें चौबीस घंटों के बाद खाना दिया गया.

‘मैं जात-बिरादरी, हिंदू-मुसलमान नहीं जानता, दुश्मन भी मुसीबत में फंसे तो मदद करनी चाहिए’

महाराष्ट्र के भिवंडी में काम कर रहे पावरलूम मज़दूरों का एक समूह 25 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के महराजगंज आने के लिए साइकिल से निकला था. इस समूह के एक सदस्य तबारक अंसारी ने करीब 400 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद मध्य प्रदेश के सीमाई क्षेत्र के सेंदुआ में दम तोड़ दिया.

मज़दूरों को वापस बुलाने का फैसला पहले लिया होता तो इतनी बुरी हालत न होती: तेजस्वी यादव

वीडियो: लॉकडाउन के बीच विभिन्न राज्यों में फंसे बिहार के मज़दूरों को वापस बुलाने के मुद्दे पर राजद नेता तेजस्वी यादव से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.

लॉकडाउन: राजस्थान से बिहार पहुंचे चार मज़दूर, कहीं पैदल तो कहीं साइकिल से पूरा किया सफ़र

बिहार के सीतामढ़ी के रहने वाले ये मज़दूर उदयपुर की जयसमंद झील में मछली पकड़ने का काम करते थे. लॉकडाउन का दूसरा चरण शुरू होने तक किसी तरह की मदद न मिलने पर इन्होंने घर का रुख़ किया. रास्ते में कहीं ट्रकवालों, तो कहीं ग्रामीणों की मदद से ये सभी 13 दिन बाद रविवार को अपने गांव पहुंचे हैं.

लॉकडाउन: साइकिल से गुजरात से यूपी जा रहे मज़दूर की रास्ते में जान गई

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर ज़िले के रहने वाले राजू अंकलेश्वर के एक पावर प्लांट में काम करते थे. सोमवार को वे किसी को बिना बताए साइकिल से अपने गांव जाने के लिए निकले थे, इसी शाम उनका शव नेशनल हाईवे पर मिला.

क्या समाज के लिए मज़दूर सीमेंट, ईंट और गारे की तरह संसाधन मात्र हैं?

मज़दूरों के हित निजी संपत्ति के मालिकों के हितों पर ही निर्भर हैं. सरकार सामाजिक व्यवस्था भी उन्हीं के लिए कायम करती है. अंत में यही कहा जाएगा कि उसने रेल भी मज़दूरों के हित में रद्द की हैं, उन्हें रोज़गार देने के लिए!

सरकार सुप्रीम कोर्ट को भी नहीं बता पाई कि वो 85% रेल किराया दे रही है या नहीं

केंद्र सरकार ने दावा किया है कि श्रमिक ट्रेनों के जरिये यात्रा करने वाले मजदूरों के किराये का 85 फीसदी खर्चा रेलवे उठा रहा है. हालांकि इस संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया गया है.

बिल्डरों-ठेकेदारों के साथ बैठक के बाद कर्नाटक सरकार ने प्रवासी मजदूरों के ट्रेनों को रद्द किया

मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के साथ बैठक में ये आशंका जताई गई कि यदि मजदूर वापस लौट जाएंगे तो राज्य का निर्माण कार्य प्रभावित होगा. इसके चलते राज्य सरकार ने मजदूरों को उनके गृह राज्य पहुंचाने वाली ट्रेनों को रद्द करने का फैसला लिया है.

लॉकडाउन डायरी: यह मानवीय क्षुद्रताओं का दौर है…

लॉकडाउन शुरू होने के कुछ रोज़ में ही एक मैसेज मिला, 'लगता है कलयुग समाप्त हो गया, सतयुग आ गया है, प्रदूषण रहित वातावरण, कोई नौकर नहीं, घर में सब मिलकर काम कर रहे हैं, उपवास-कीर्तन हो रहा है.' ठीक इन्हीं दिनों हज़ारों कामगारों का हुजूम भूखे-प्यासे एक बीमारी और अनिश्चित भविष्य के डर से महानगरों की सड़कों पर अपनी टूटी चप्पल और फटा बैग संभाले निकल रहा था.

बिहार: क्या रेल किराया देने को लेकर नीतीश कुमार मज़दूरों को गुमराह कर रहे हैं?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि बिहार आने वाले लोग जब 21 दिन बाद क्वारंटीन सेंटर से निकलेंगे तो उन्हें राज्य सरकार की ओर से न्यूनतम 1000 रुपये दिए जाएंगे जिसमें रेल का किराया और प्रशासन की ओर से अतिरिक्त मदद शामिल होगी.

विभिन्न राज्यों में फंसे हुए लोग घर लौटने के लिए यहां पर कराएं रजिस्ट्रेशन‌

लॉकडाउन के कारण देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे दिहाड़ी मजदूरों और प्रवासियों के लिए ऑनलाइन पोर्टल शुरू किये गए हैं. अपने राज्य लौटने के इच्छुक लोग इस पर जाकर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.

‘हैदराबाद से गोरखपुर के लिए 73 हजार रुपये में एम्बुलेंस ली थी, पर भाई पहुंचने से पहले ही चल बसे’

गोरखपुर ज़िले के भटहट क्षेत्र के एक गांव के रहने वाले राजेंद्र और धर्मेंद्र निषाद हैदराबाद में काम करते थे, जहां लॉकडाउन के दौरान राजेंद्र की तबियत बिगड़ी और डॉक्टरों ने जवाब दे दिया. गांव की ज़मीन गिरवी रख और क़र्ज़ लेकर किसी तरह उन्हें घर लाया जा रहा था, जब उन्होंने गांव के रास्ते में दम तोड़ दिया.

1 4 5 6 7 8 11