बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में वर्षों से चले आ रहे लड़कियों के उत्पीड़न पर छात्राओं द्वारा शायद पहला इतना बड़ा प्रतिरोध है.
कैंपस में छात्राओं के साथ बढ़ती छेड़खानी के विरोध में छात्राएं दो दिन से धरने पर बैठीं थीं.
योगी सरकार से पूछना चाहिए कि यह बेटियों की सुरक्षा है या छल? जिस मीडिया को पूछना चाहिए उसने तो अखिलेश सरकार के जाने के बाद जंगलराज ख़त्म मान लिया है.
कैंपस में लड़कियों की सुरक्षा के मुद्दे पर लड़कियां शुक्रवार सुबह 6 बजे से विश्वविद्यालय के मेन गेट पर प्रदर्शन कर रही हैं.
'किसी समाज व शासन की सफलता इस तथ्य से समझी जानी चाहिए कि वहां नारी व प्रकृति कितनी संरक्षित व पोषित है, उन्हें वहां कितना सम्मान मिलता है.'
पुलिस अधीक्षक की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि महिला जहां गिरी मिली थी, वहां किसी भी प्रकार के एसिड की मौजूदगी नहीं पाई गई है.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रहने वाली इस पीड़ित महिला के साथ इससे पहले तीन बार बलात्कार हुआ है और चार बार चेहरे पर तेज़ाब फेंका जा चुका है.
हरियाणा पुलिस द्वारा किए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि अधिकतर मामलों में ऐसी घटनाएं स्कूल, कॉलेज या दफ्तर से आते-जाते वक़्त लड़कियों या महिलाओं के साथ होती हैं.
रेवाड़ी ज़िले के एक गांव की तकरीबन 80 लड़कियां गांव के स्कूल को बारहवीं कक्षा तक करने की मांग के साथ भूख हड़ताल पर बैठी हैं. पढ़ाई के लिए गांव से दूर जाने पर रास्ते में होती है छेड़छाड़.
सड़क नहीं बल्कि अपने ही घर की चारदीवारी के भीतर होने वाली हिंसा महिलाओं की शारीरिक तथा मानसिक असुरक्षा और टूटन की सबसे बड़ी वजह है.
लखनऊ के पास हुए इस दर्दनाक हादसे में पीड़ित महिला के साथ पहले तीन बार बलात्कार हुआ है और तीन बार तेज़ाब फेंका जा चुका है.
प्रेम समाज की सीमाओं को तोड़ता है, एक स्तर पर समानता भी लाता है. समाज और पितृसत्ता के ठेकेदार तो इसके ख़िलाफ़ रहेंगे ही, क्योंकि प्रेम के कारण न सिर्फ़ स्त्रियों, बल्कि युवा पुरुष वर्ग पर भी प्रभुत्व ख़त्म हो जाएगा, इसलिए उनके लिए वो अस्वीकार्य है.