महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के घरों तक वितरण पर रोक लगाने के पिछले सप्ताह के अपने दिशानिर्देशों में मंगलवार को संशोधन करते हुए कहा कि यह रोक केवल मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) और पुणे में लागू होगी.
अखबारों और पत्रिकाओं को घर-घर पहुंचाने से बचने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले की निंदा करते हुए मुंबई प्रेस क्लब ने अपील की कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करे, आदेश वापस ले और अखबारों को घर-घर तक पहुंचाने दे.
सरकार से पुष्टि के बाद कोरोना वायरस से संबंधित ख़बरें मीडिया द्वारा चलाए जाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अलग-अलग मायने निकले जा सकते हैं. हो सकता है कि केंद्र इसे मीडिया सेंसरशिप के लिए इस्तेमाल करने लगे या मीडिया सेल्फ सेंसरशिप करने लगे. अगर ऐसा होता है तो यह अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए गंभीर ख़तरा होगा.
बीते मंगलवार को केंद्र सरकार की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया से कहा था कि वह सरकार से पुष्टि के बाद ही कोरोना वायरस से संबंधित खबरें चलाए.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से यह निर्देश दिए जाने की मांग की थी कि सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए सिस्टम से कोरोना वायरस पर तथ्यों की पुष्टि किए बिना कोई भी मीडिया प्रतिष्ठान किसी खबर का प्रकाशन अथवा प्रसारण न करे.
देश के सार्वजनिक प्रसारणकर्ता प्रसार भारती ने ट्वीट कर कहा था कि विदेश मंत्रालय ने अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास से भारत विरोधी व्यवहार को लेकर वॉल स्ट्रीट जर्नल के दक्षिण एशियाई डिप्टी ब्यूरो चीफ एरिक बेलमैन को तत्काल प्रभाव से वापस भेजने के एक अनुरोध को देखने के लिए कहा है. हालांकि विदेश मंत्रालय ने इस ख़बर का खंडन किया है.
अपने अभूतपूर्व आदेशों में सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने केरल के दोनों चैनलों मीडिया वन और एशियानेट न्यूज टीवी पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक समुदाय का पक्ष लेने और दिल्ली पुलिस और आरएसएस की आलोचना को कारण बताया था.
ईडी के निदेशक संजय कुमार मिश्रा द्वारा मंगलवार को जारी आदेश में कहा गया कि इससे पहले ऐसा ही एक आदेश 30 नवंबर, 2018 में भी जारी किया गया था, लेकिन उसका पूरी तरह से पालन नहीं हुआ.