क्या सत्ता के सामने भारतीय मीडिया रेंगने लगा है?

संपादकों का काम सत्ता के प्रचार के अनुकूल कंटेट को बनाए रखने का है और हालात ऐसे हैं कि सत्तानुकूल प्रचार की एक होड़ मची हुई है. धीरे-धीरे हालात ये भी हो चले हैं कि विज्ञापन से ज़्यादा तारीफ़ न्यूज़ रिपोर्ट में दिखाई दे जाती है.

क्या भारत के बड़े अख़बार प्रेस की आज़ादी पर छोटे अख़बारों के हक़ में संपादकीय लिख सकते हैं?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार प्रेस पर हमला करते रहते हैं. अमेरिकी प्रेस ने इसके ख़िलाफ जम कर लोहा लिया है. अख़बार बोस्टन ग्लोब के नेतृत्व में 300 से अधिक अख़बारों ने एक ही दिन प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर संपादकीय छापे हैं.

मीडिया पर राष्ट्रपति ट्रंप के प्रहारों के ख़िलाफ़ 350 अमेरिकी मीडिया संगठनों ने संपादकीय लिखा

अमेरिका के बोस्टन ग्लोब अख़बार ने ‘एनमी ऑफ नन’ हैशटैग का इस्तेमाल करके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मीडिया विरोधी रुख़ की राष्ट्रव्यापी निंदा की अपील की थी. जिस पर हर अख़बार ने ट्रंप की मीडिया विरोधी टिप्पणियों के विरुद्ध अपना-अपना संपादकीय लिखा है.

मीडिया बोल, एपिसोड 62: मीडिया की आज़ादी सत्ता को क्यों मंज़ूर नहीं है?

मीडिया बोल की 62वीं कड़ी में उर्मिलेश मीडिया की आज़ादी पर पूर्व पत्रकार व आप नेता आशुतोष और वरिष्ठ पत्रकार नीरेंद्र नागर से चर्चा कर रहे हैं.

यह अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए निराशाजनक दौर है

यह एक कठोर हक़ीक़त है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी को बचाए रखने वाले हर क़ानून के अपनी जगह पर होने के बावजूद समाचारपत्रों और टेलीविज़न चैनलों ने बिना प्रतिरोध के आत्मसमर्पण कर दिया है और ऊपर से आदेश लेना शुरू कर दिया है.

एक्सक्लूसिव: एबीपी न्यूज़ से पत्रकारों के इस्तीफ़े के पहले पतंजलि ने चैनल से हटाए थे विज्ञापन

पतंजलि के प्रवक्ता ने एबीपी समाचार चैनल से विज्ञापन हटाने की बात स्वीकारते हुए वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी और मिलिंद खांडेकर के इस्तीफ़े में हाथ होने से इनकार किया.

अब मीडिया सरकार की नहीं बल्कि सरकार मीडिया की निगरानी करती है: पुण्य प्रसून बाजपेयी

विशेष: वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी बता रहे हैं कि न्यूज़ चैनलों पर नकेल कसने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के भीतर बनाई गई 200 लोगों की ‘गुप्त फ़ौज’ क्या और कैसे काम करती है.

मुझे कहा गया कि न मोदी का नाम लूं, न ही उनकी तस्वीर दिखाऊं: पुण्य प्रसून बाजपेयी

बेस्ट ऑफ 2018: अपने इस लेख में मास्टरस्ट्रोक कार्यक्रम के एंकर रहे पुण्य प्रसून बाजपेयी उन घटनाक्रमों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं जिनके चलते एबीपी न्यूज़ चैनल के प्रबंधन ने मोदी सरकार के आगे घुटने टेक दिए और उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा.

मीडिया बोल, एपिसोड 61: मंडल कमीशन के 25 साल और अधर में आरक्षण

मीडिया बोल की 61वीं कड़ी में उर्मिलेश मंडल कमीशन के 25 साल और आरक्षण की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट के वकील डॉ. केएस चौहान और वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र पीएस से चर्चा कर रहे हैं.

क्या एबीपी न्यूज़ के पत्रकारों ने मोदी सरकार की आलोचना की कीमत चुकाई है?

सूत्रों के अनुसार चैनल में हुए इन बदलावों के बीच भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को पिछले हफ्ते संसद भवन में कुछ पत्रकारों से कहते सुना गया था कि वे ‘एबीपी को सबक सिखाएंगे.’

मीडिया बोल, एपिसोड 60: मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह बलात्कार मामला और मीडिया

मीडिया बोल की 60वीं कड़ी में उर्मिलेश बिहार में मुज़फ़्फ़रपुर के एक बालिका गृह में रह रहीं लड़कियों से बलात्कार के मामले पर हुई मीडिया कवरेज पर पत्रकार अलका रंजन और सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार शीतल प्रसाद सिंह से चर्चा कर रहे हैं.

अडानी मानहानि मामले में समन के ख़िलाफ़ द वायर की रिवीज़न याचिका पर फ़ैसले का इंतज़ार

नोट: अडानी मामले में बहस पूरी हो चुकी है और रिवीजनल कोर्ट में निर्णय प्रतीक्षित है. अंतिम फैसला और औपचारिक आदेश आने तक इस स्टोरी के स्थान पर यह नोट लगाया जा रहा है.  

जिस तरह घोटाले कांग्रेस की पहचान बने थे, भाजपा मॉब लिंचिंग के लिए जानी जाएगी

अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन वह शहरी मध्यवर्ग, जो भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सड़कों पर उतर आया था, वह इस हिंसा पर उदासीन बना हुआ है.

एक कैंपस के भीतर 29 बच्चियों के साथ बलात्कार होता रहा और बिहार सोता रहा

बिहार की नीतीश कुमार सरकार इस मामले में चुप रही. वहीं बिहार का मीडिया और मुज़फ़्फ़रपुर का नागरिक समाज भी 29 बच्चियों के साथ हुए बलात्कार के इस मामले को लेकर चुप्पी साधे हुए है.

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