आज भारतीय राजनीति एक ऐसे दौर में है जब कोई भी राजनीतिक पार्टी मुस्लिम समुदाय की बात नहीं करना चाहती. वे राजनीतिक रूप से अछूत बना दिए गए हैं. अब उनका इस्तेमाल बहुसंख्यक आबादी को वोट बैंक में तब्दील करने के लिए किया जा रहा है.
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, इन कैदियों में 1,649 महिलाएं भी हैं जो अपने 1,942 बच्चों के साथ जेल में रह रहीं हैं.
भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि हम लोग महात्मा गांधी की छठी औलाद हैं कि हम देते ही जाएंगे और फिर चुनाव में मात खाएंगे. यह जीत मुसलमान के बिना भी होगी, उनके साथ भी होगी.'
असम में कथित तौर पर गोमांस बेचने के शक़ में भीड़ द्वारा एक मुस्लिम बुजुर्ग के साथ मारपीट किए जाने की घटना पर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.
भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मोहम्मद अख़लाक़ को मार दिए जाने के करीब चार साल बाद दादरी के बिसाहड़ा गांव में कोई पछतावा नहीं दिखता. यहां के मुसलमानों ने ख़ुद को क़िस्मत के हवाले कर दिया है.
समझौता एक्सप्रेस मामले की सुनवाई कर रहे जज ने कहा कि अभियोजन कई गवाहों से पूछताछ और उपयुक्त सबूत पेश करने में नाकाम रहा इसलिए मजबूरन आरोपियों को बरी करना पड़ा. जब एनआईए जैसी शीर्ष जांच एजेंसी एक भयानक आतंकी हमले के हाई-प्रोफाइल मामले में इस तरह बर्ताव करती है, तो देश की जांच और अभियोजन व्यवस्था की क्या साख रह जाती है?
भारत सरकार यूं तो कहती है कि आतंकवादी कहीं छिपा हो वह उसे निकाल लाएगी, लेकिन इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्री का कहना था कि क्यों सरकार आगे की अदालत में इस फैसले के ख़िलाफ़ अपील करे? जिसे करना हो करे, सरकार क्यों करे? इससे क्या फायदा होगा?
लोकसभा चुनाव से पहले आई कुछ रिपोर्टों के अनुसार देश के करीब 12 करोड़ लोगों के नाम मतदाता सूची में नहीं हैं. हैदराबाद स्थित एक समूह का दावा है कि ऐसे लोगों में बड़ी संख्या मुसलमानों और दलितों की है. द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी इस बारे में सॉफ़्टवेयर इंजीनियर सैयद खालिद सैफुल्लाह से चर्चा कर रही हैं.
पूर्वी उत्तर प्रदेश में अस्मिता की राजनीति सबसे अधिक तीखी है. पटेल, कुर्मी, राजभर, चौहान, निषाद, कुर्मी-कुशवाहा आदि जातियों की अपनी पार्टियां बन चुकी हैं और उनकी अपनी जातियों पर पकड़ बेहद मज़बूत है. कांग्रेस को इन सबके बीच अपने लिए कम से कम 20 फीसदी से अधिक वोटों को जुगाड़ करना होगा तभी वह यूपी में सम्मानजनक स्थान पा सकती है.
प्रधानमंत्री के यहां-वहां किए गए मज़ाक या तंज़ से अगली कतार में बैठने वालों को हंसाया तो जा सकता है, लेकिन चुनावों में इसका कोई फायदा नहीं होने वाला.
पाकिस्तान में हिंदू विरोधी टिप्पणी को लेकर प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अपने एक मंत्री को बर्ख़ास्त कर दिया. भारत के संदर्भ में इस घटना पर चर्चा कर रही हैं आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
आज़ादी के इतिहास को देखने पर यह पता चलता है कि तत्कालीन नेताओं ने आज़ादी को प्राप्त करने हेतु अपने-अपने मार्गों पर चलने का कार्य किया परंतु एक मार्ग पर चलने वाले ने दूसरे मार्ग पर चलने वाले नेताओं को कभी भी राष्ट्रद्रोही नहीं कहा.
गोधरा रेलवे स्टेशन पर 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच को आग लगा दी गई थी. इसमें 59 लोगों की जान गई थी, जिनमें से सात लोगों की अब तक शिनाख्त नहीं हो पाई. इस घटना के बाद गुजरात में सांप्रदायिक दंगा भड़क उठा था.
इस समय इरादा मुसलमानों से जुड़ी हर जगह को संदिग्ध बनाने का है. उसका तरीक़ा है उन्हें विवादित बनाना. एक बार कुछ भी विवादित हो जाए तो उसमें दूसरा पक्ष जायज़ हो जाता है, जैसे बाबरी मस्जिद को विवादित बनाकर अब संघ के संगठन एक जायज़ पक्षकार बन बैठे हैं.
‘मित्रो मरजानी’ के बाद सोबती पर पाठक फ़िदा हो उठे थे. ये इसलिए नहीं हुआ कि वे साहित्य और देह के वर्जित प्रदेश की यात्रा पर निकल पड़ी थीं. ऐसा हुआ क्योंकि उनकी महिलाएं समाज में तो थीं, लेकिन उनका ज़िक्र करने से लोग डरते थे.