अनिल अंबानी ने नेशनल हेराल्ड के खिलाफ किया 5,000 करोड़ रुपये का मानहानि केस

अनिल अंबानी की रिलायंस समूह की कंपनियों ने दावा किया है कि अखबार में राफेल विमान सौदे को लेकर प्रकाशित एक लेख अपमानजनक है.

मिस्टर जेटली! ये अपनी पीठ थपथपाने का वक्त नहीं है

अरुण जेटली को एनडीए बनाम यूपीए सरकार के झगड़े से निकलकर भूमंडलीय आर्थिक खतरों के काले बादलों पर ध्यान लगाना चाहिए. यह पिछली सरकार के प्रदर्शन से तुलना करके अपनी पीठ थपथपाने का वक्त नहीं है.

केरल बाढ़ के लिए यूएई ने नहीं की 700 करोड़ रुपये देने की घोषणा

यूएई के केरल को वित्तीय मदद देने पर यूएई के राजदूत अहमद अलबना ने स्पष्ट किया है कि बाढ़ के बाद बचाव की ज़रूरतों को लेकर आकलन अभी चल रहा है और मदद के लिए कोई राशि फाइनल नहीं की गई है.

भारत में सत्ताधारी पार्टी से सहमत न होने वाले पत्रकारों की प्रताड़ना चिंताजनक: आरडब्ल्यूबी

प्रेस की दशा-दिशा पर नज़र रखने वाली वैश्विक संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की ओर कहा गया है कि पत्रकारों को प्रताड़ित किए जाने की घटनाओं के पीछे हिंदू राष्ट्रवादियों का हाथ है. इसमें हत्या भी हो सकती है, जैसा पत्रकार गौरी लंकेश के मामले में हुआ.

यूएई से मदद स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं: केरल मुख्यमंत्री

केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने आपदा प्रबंधन नियमों का हवाला देते हुए कहा कि गंभीर आपदा के समय में विदेशी सरकार द्वारा दी जाने वाली स्वैच्छिक सहायता स्वीकार की जा सकती है. अगर केंद्र सरकार इसे लेने से इनकार करती है तो उसे इसकी भरपाई करनी चाहिए.

जन गण मन की बात, एपिसोड 292: भय की राजनीति और केंद्र का दक्षिण भारत से सौतेला व्यवहार

जन गण मन की बात की 292वीं कड़ी में भाजपा की भय की राजनीति और केंद्र सरकार के दक्षिण भारत के प्रति सौतेले व्यवहार पर चर्चा कर रहे हैं.

हम भी भारत, एपिसोड 49: क्या केरल की भीषण त्रासदी में भी राजनीति हो रही है?

पिछले 100 साल की सबसे बदतर आपदा से कैसे जूझ रहे हैं केरल के लोग और क्यों आख़िर इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित नहीं कर रही है मोदी सरकार? एनडीआरएफ के पूर्व डीआईजी और द वायर के डिप्टी एडिटर अजय आशीर्वाद के साथ चर्चा कर रही हैं आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.

गोदी मीडिया को देखकर लगता है कि इस दौर में मुसलमानों से नफ़रत करना ही रोज़गार है

इस दौर की ख़ूबसूरत सच्चाई यह है कि बेरोज़गार रोज़गार नहीं मांग रहा है. वो इतिहास का हिसाब कर रहा है. उसे नौकरी नहीं, झूठा इतिहास चाहिए!

क्या सत्ता के सामने भारतीय मीडिया रेंगने लगा है?

संपादकों का काम सत्ता के प्रचार के अनुकूल कंटेट को बनाए रखने का है और हालात ऐसे हैं कि सत्तानुकूल प्रचार की एक होड़ मची हुई है. धीरे-धीरे हालात ये भी हो चले हैं कि विज्ञापन से ज़्यादा तारीफ़ न्यूज़ रिपोर्ट में दिखाई दे जाती है.

मनमोहन सिंह के कार्यकाल में हासिल हुई सर्वाधिक 10.08 प्रतिशत की वृद्धि दर: सांख्यिकी मंत्रालय

कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन शासन के दौरान औसतन 8.1 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर मोदी सरकार के कार्यकाल की औसत वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत से अधिक रही है.

मीडिया बोल, एपिसोड 62: मीडिया की आज़ादी सत्ता को क्यों मंज़ूर नहीं है?

मीडिया बोल की 62वीं कड़ी में उर्मिलेश मीडिया की आज़ादी पर पूर्व पत्रकार व आप नेता आशुतोष और वरिष्ठ पत्रकार नीरेंद्र नागर से चर्चा कर रहे हैं.

यह अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए निराशाजनक दौर है

यह एक कठोर हक़ीक़त है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी को बचाए रखने वाले हर क़ानून के अपनी जगह पर होने के बावजूद समाचारपत्रों और टेलीविज़न चैनलों ने बिना प्रतिरोध के आत्मसमर्पण कर दिया है और ऊपर से आदेश लेना शुरू कर दिया है.

जन गण मन की बात, एपिसोड 287: कांवड़ियों का उत्पात और मीडिया निगरानी

जन गण मन की बात के 287वीं कड़ी में विनोद दुआ कांवड़ियों द्वारा मचाए गए उत्पात और मोदी सरकार द्वारा की जा रही मीडिया की निगरानी पर चर्चा कर रहे हैं.

एनआरआई को प्रॉक्सी वोट डालने का अधिकार देने वाला विधेयक लोकसभा में पारित

एनआरआई की तरह देश के अंदर यहां से वहां जाकर काम करने वाले प्रवासी मज़दूरों को भी प्रॉक्सी मताधिकार देने के सवाल पर क़ानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि एनआरआई और प्रवासी मज़दूरों की तुलना नहीं की जा सकती. प्रवासी मज़दूर भारत में ही रहते हैं.

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