भाजपा के स्टार प्रचारक नरेंद्र मोदी क्या वाकई वंशवाद के ख़िलाफ़ हैं? अगर हां, तो उनकी पार्टी में इतने परिवारों को जगह कैसे मिली हुई है?
नीतीश कुमार पद्मावती के रिलीज़ में उलझे हैं, लेकिन नाबालिग दलित लड़की के सामूहिक बलात्कार और तीन लोगों की हत्या पर सरकार ख़ामोश है.
मीडिया से सवाल पूछने की बात करना बेकार है क्योंकि वह सवाल पूछना भूल चुकी है.
सोशल मीडिया: गुजरात चुनाव प्रचार में विकास की जगह राहुल के परनाना ने ले ली तो फेसबुक और ट्विटर पर लोगों ने प्रधानमंत्री की भाषा और ग़लतबयानियों पर जमकर चुटकी ली.
जन गण मन की बात की 157वीं कड़ी में विनोद दुआ कॉरपोरेट क़र्ज़माफ़ी को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली की सफ़ाई के बारे में चर्चा कर रहे हैं.
आरएसएस अगर आज़ादी की लड़ाई के बारे में बात करे तो वो क्या बताएगा? अगर वो सावरकर के बारे में बताएगा तो अंग्रेजों को लिखे गए सावरकर के माफ़ीनामे सामने आ जाते हैं.
जन गण मन की बात की 156वीं कड़ी में विनोद दुआ गुजरात मॉडल के सच और नरेंद्र मोदी की गुजरात रैलियों के बारे में चर्चा कर रहे हैं.
विदेशी दुश्मनों को ज़रूरत से ज़्यादा निचोड़ लिया गया है. अब नये दुश्मन की ज़रूरत है. अब घर में तलाश की जा रही है. इसके लिए इतिहास को काम पर लगाया गया है.
'नेता साबरमती के संत गीत की आलोचना कर बापू और अहिंसक आंदोलन के प्रति अपनी नफ़रत दिखा रहे हैं. अगर दिक्कत है तो इस गीत को प्रतिबंधित क्यों नहीं करा देते.'
पद्मावती का विरोध कर रहे राजपूत करणी सेना के नेता महिपाल मकराना ने अपने संगठन को अलग करते हुए कहा कि उनका विरोध करने का यह तरीका नहीं है.
जन गण मन की बात की 155वीं कड़ी में विनोद दुआ ईवीएम से छेड़छाड़ की हालिया ख़बर और सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे सीबीआई जज बृजगोपाल लोया की 'संदिग्ध' मौत पर उठे सवालों के बारे में चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 154वीं कड़ी में विनोद दुआ यूथ कांग्रेस द्वारा ट्वीट किए गए मीम और स्वच्छ भारत अभियान के प्रचार पर हुए ख़र्च के बारे में चर्चा कर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि दिल्ली को राज्य नहीं माना जा सकता और ऐसा करने से निश्चित रूप से अव्यवस्था फैलेगी.
जन गण मन की बात की 153वीं कड़ी में विनोद दुआ राजनीति में वंशवाद और मीडिया के विरोध प्रदर्शनों की कवरेज न करने पर चर्चा कर रहे हैं.
जो इश्क़ करते हैं, बेड़ियों को तोड़ना चाहते हैं, दुनिया को बदलना चाहते हैं, उन्हें आज भी फ़ैज़ की ज़रूरत है.