मीडिया बोल, एपिसोड 04: हिंदी मीडिया आज इतना बेदम और ग़ैर-पेशेवर क्यों?

मीडिया बोल की चौथी कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, एनडीटीवी के सीनियर एंकर रवीश कुमार और वरिष्ठ पत्रकार विद्या सुब्रह्मण्यम के साथ हिंदी मीडिया के ग़ैर-पेशेवर रवैये पर चर्चा कर रहे हैं.

‘हिंदू-मुस्लिम दंगे और जाति आधारित संघर्षों को पाठ्यक्रम में शामिल नहीं करना चाहिए’

भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के प्रमुख ब्रज बिहारी कुमार ने कहा कि जेएनयू शिक्षा का नहीं बल्कि कार्यकर्ता तैयार करने का स्थान बनता जा रहा है.

‘बड़े संगठन हमेशा से छोटे व्यापारियों के नाम पर राजनीति करते आए हैं’

जीएसटी के मसले पर कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल के साथ द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु की बातचीत.

जीएसटी: ‘नई आज़ादी’ के आधी रात के जश्न में गुम न हो जाएं ये सवाल

जीएसटी को लागू किए जाने से पहले सरकार ने छोटे कारोबारियों की चिंताओं को नज़रअंदाज़ किया. किसी को जीएसटी के जटिल प्रारूप के कारण छोटे व्यापारियों पर पड़नेवाले प्रभावों का आकलन करने की फुर्सत नहीं है, जिन पर वकील और सीए अभी से ही शिकारी बाज़ की तरह झपट पड़े हैं.

अजी समझ लो उनका अपना नेता था जयचंद, हिटलर के तंबू में अब वे लगा रहे पैबंद

नागार्जुन की कविता राजनीति के चरित्र का पर्दाफ़ाश करती है. जो लोग लोकतंत्र को बचाने और उसे मज़बूत बनाने की लड़ाई लड़ना चाहते हैं, उनके लिए नागार्जुन कभी अप्रासंगिक नहीं होंगे.

अधिक जानलेवा बनते जा रहे हैं भू-स्खलन

भू-स्खलन ख़तरनाक है ही पर यदि बाढ़, भूकंप आदि अन्य आपदाओं को साथ मिलाकर देख जाए तो यह और भी जानलेवा हो जाते हैं, तिस पर अपनी लापरवाहियों से हमने इस संभावना को और बढ़ा दिया तो इसकी बहुत महंगी कीमत चुकानी पड़ेगी.

जन गण मन की बात, एपिसोड 75: गोरक्षा पर प्रधानमंत्री का बयान और दिल्ली गोल्फ क्लब में नस्लीय भेदभाव

जन गण मन की बात की 75वीं कड़ी में विनोद दुआ कथित गोरक्षकों की गुंडागर्दी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान और दिल्ली गोल्फ क्ल​ब में पूर्वोत्तर की महिला के साथ हुए नस्लीय भेदभाव पर चर्चा कर रहे हैं.

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