क्रांति के लिए ख़ूनी लड़ाइयां ज़रूरी नहीं, क्रांति यानी अन्याय आधारित व्यवस्था में आमूल बदलाव

विशेष: साल 1929 में 8 अप्रैल को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने केंद्रीय असेंबली में बम फेंका था. बम फेंकने के बाद उन्होंने गिरफ़्तारी दी और उनके ख़िलाफ़ मुक़दमा चला. 6 जून, 1929 को दिल्ली के सेशन जज लियोनॉर्ड मिडिल्टन की अदालत में दिया गया भगत सिंह का ऐतिहासिक बयान...