अमेरिकी खाद्य और दवा नियामक संस्था ने कोविड-19 के उपचार के लिए आपात स्थिति में क्लोरोक्वीन और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल को दी गई मंज़ूरी वापस लेते हुए कहा कि ये मलेरिया रोधी दवाएं कोरोना वायरस संक्रमण रोकने में संभवत: प्रभावी नहीं हैं.
विश्व के क़रीब 100 से अधिक वैज्ञानिकों ने दोनों पत्रिकाओं के संपादकों को लिखे गए खुले पत्र में दोनों अध्ययनों में इस्तेमाल डेटा की गुणवत्ता में विसंगति का मुद्दा उठाया था. पत्र में डेटा की सत्यता और अध्ययन में इससे जिस तरह का विश्लेषण किया गया, उन सबको लेकर चिंता जताई गई थी.
पूर्व स्वास्थ्य सचिव के. सुजाता राव ने कहा है कि कुपोषण और स्वस्थ जीवनशैली के अभाव में काफी संख्या में लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है. ऐसे में बीमारियों को लेकर सतत रूप से अनुसंधान पर ध्यान देने की जरूरत है, जिसकी हमारे देश में काफी कमी है.
वैज्ञानिकों का कहना है, आधुनिक समय के लोग अपने पूर्वजों से कम हिंसक नहीं हैं. इसके उलट चिम्पैंजी मानवों से कम हिंसक हैं.
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने अनुसंधान की कमी पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि आज तक देश अपने सशस्त्र बलों के लिए एक ढंग की राइफल भी विकसित नहीं कर सका है.