वीडियो: अभिनेता, लेखक और नाटककार मानव कौल और ‘अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है’ फिल्म के निर्देशक सौमित्र रानाडे से प्रशांत वर्मा की बातचीत.
भाजपा के संस्थापक ने विरोधियों को एंटी-नेशनल कहने पर आपत्ति जताई है, जो मोदी-शाह की रणनीति और अभियान का प्रमुख तत्व रहा है. ऐसा ही कुछ लालकृष्ण आडवाणी ने 1970 के दशक के मध्य में आपातकाल के समय जेल में बंद होने के दौरान भी लिखा था.
टिकट पर भाजपा के अनिर्णय के बाद सुमित्रा महाजन द्वारा लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा समेत आज की बड़ी ख़बरें. दिनभर की महत्वपूर्ण ख़बरों का अपडेट.
आर्टिस्ट यूनाइट इंडिया वेबसाइट पर जारी संयुक्त बयान में इन कलाकारों ने कहा कि भाजपा विकास के वादे के साथ सत्ता में आई थी लेकिन हिंदुत्व के गुंडों को नफ़रत और हिंसा की राजनीति की खुली छूट दे दी. सवाल उठाने, झूठ उजागर करने और सच बोलने को देश विरोधी करार दिया जाता है. उन संस्थानों का गला घोंट दिया गया, जहां असहमति पर बात हो सकती थी.
भाजपा के वरिष्ठ नेता आडवाणी ने ब्लॉग लिखकर कहा कि भारतीय लोकतंत्र का सार विविधता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए सम्मान है. भाजपा ने राजनीतिक रूप से असहमति जताने वालों को कभी दुश्मन नहीं माना बल्कि प्रतिद्वन्द्वी ही माना.
ऑनलाइन पोर्नोग्राफी एवं गैंबलिंग पर कार्रवाई के तहत बांग्लादेश की शेख़ हसीना सरकार ने 20,000 से ज़्यादा वेबसाइटों को बंद करने का आदेश दिया. लोगों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है.
द वायर हिंदी के दो साल पूरे होने पर हुए कार्यक्रम में दिए गए कार्यकारी संपादक बृजेश सिंह के वक्तव्य का संपादित अंश.
लेखक एस. हरीश के मलयाली उपन्यास ‘मीशा’ के कुछ अंश हटाने की मांग करने वाली याचिका को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि लेखक की रचनात्मकता का सम्मान किया जाना चाहिए.
मानहानि के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घोटाले की रिपोर्टिंग के समय उत्साह में ग़लती हो सकती है.
फिल्मकार ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बाधित करने से रचनात्मकता को पनपने के लिए नए रास्ते मिल जाते हैं.
पत्रकार डेफ्ने कारुआना गालिज़िआ ने माल्टा में पनामा पेपर्स से जुड़े घोटाले को उजागर किया था. उनकी रिपोर्ट में माल्टा के प्रधानमंत्री की पत्नी, चीफ आॅफ स्टाफ और तत्कालीन ऊर्जा मंत्री पर आरोप लगाया गया था.
इलैया की किताब बैन करने की याचिका ख़ारिज करते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने कहा कि हम किताबों पर प्रतिबंध लगाने के लिए यहां नहीं बैठे हैं. किसी किताब को सिर्फ इसलिए बैन नहीं किया जा सकता क्योंकि वो विवादित है.
कोई मंत्री या सरकारी कर्मचारी आपराधिक जांच के मुद्दों पर विचार व्यक्त करते हुए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दावा कर सकता है या नहीं, इस पर होगा विचार.