असम एनआरसी के पुनर्सत्यापन के लिए कोऑर्डिनेटर ने सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया

असम एनआरसी के समन्वयक हितेश शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर कर दावा किया है कि एनआरसी अपडेट करने की प्रक्रिया में कई गंभीर, मौलिक और महत्वपूर्ण त्रुटियां सामने आई हैं, इसलिए इसके पुन: सत्यापन की आवश्यकता है. सत्यापन का कार्य संबंधित ज़िलों में निगरानी समिति की देखरेख में किया जाना चाहिए.

संबंधित व्यक्ति को सुनने के बाद ही नागरिकता पर कोई फ़ैसला दिया जाए: गुवाहाटी हाईकोर्ट

विदेशी न्यायाधिकरण के एकतरफ़ा आदेश को दरकिनार करते हुए गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा कि नागरिकता किसी व्यक्ति का सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है. इससे पहले हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा था कि नागरिकता साबित करने के लिए किसी व्यक्ति को वोटर लिस्ट में शामिल सभी रिश्तेदारों के साथ संबंध का प्रमाण देना आवश्यक नहीं है.

नागरिकता साबित करने के लिए सभी रिश्तेदारों के साथ संबंध का प्रमाण ज़रूरी नहीं: हाईकोर्ट

असम के फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ने अपने एक आदेश में हैदर अली नामक एक व्यक्ति को विदेशी घोषित कर दिया था, जबकि उन्होंने 1965 और 1970 के वोटर लिस्ट में शामिल अपने पिता और दादा के साथ संबंध को प्रमाण दिया था. गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा कि व्यक्ति को सिर्फ़ इस आधार पर विदेशी नहीं घोषित किया जा सकता है कि वे वोटर लिस्ट में शामिल रिश्तेदारों के साथ अपने संबंध स्थापित नहीं कर पाया है.

असम विधानसभा चुनाव के बीच एनआरसी का मुद्दा कहां है…

ऐसे राज्य में जहां एनआरसी के चलते 20 लाख के क़रीब आबादी 'स्टेटलेस' होने के ख़तरे के मुहाने पर खड़ी हो, वहां के सबसे महत्वपूर्ण चुनाव में इस बारे में विस्तृत चर्चा न होना सवाल खड़े करता है.

एनआरसी के बचे कार्य के लिए 31 मार्च के बाद वित्तीय सहायता देने से रजिस्ट्रार जनरल ने किया इनकार

असम सरकार ने चार मार्च को लिखे पत्र में एनआरसी के लंबित कार्यों को 31 मार्च के बाद पूरा करने के लिए पूर्व में आवंटित 1600 करोड़ रुपये से अधिक के बजट के अलावा अतिरिक्त 3.22 करोड़ रुपये प्रतिमाह जारी करने का अनुरोध किया था.

राष्ट्रव्यापी एनआरसी पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया: केंद्र

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने सदन में बताया कि अब तक सरकार ने एनआरसी को राष्ट्रीय स्तर पर तैयार करने का कोई निर्णय नहीं लिया है. एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि नागरिकता अधिनियम और भारतीय नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर के तहत डिटेंशन केंद्रों का कोई प्रावधान नहीं है.

असम: डेढ़ साल तक डिटेंशन सेंटर में रखे जाने के बाद परिवार को भारतीय घोषित किया गया

गुवाहाटी में एक रिक्शा चालक को उनकी पत्नी और बच्चों सहित जून 2019 में अवैध विदेशी बताते हुए डिटेंशन सेंटर में भेज दिया गया था. एक मानवाधिकार वकील की अर्ज़ी पर हाईकोर्ट ने इस आदेश को ख़ारिज करते हुए मामले की फिर सुनवाई करने को कहा, जिसके बाद दोनों को भारतीय घोषित किया गया है.

एनआरसी सूची जारी होने के डेढ़ साल बाद एनआरसी समन्वयक ने हाईकोर्ट से कहा- फाइनल सूची आनी बाक़ी

असम में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुई एनआरसी की अंतिम सूची 31 अगस्त 2019 को प्रकाशित हुई थी, जिसमें 19 लाख लोगों के नाम नहीं आए थे. अब एनआरसी समन्वयक हितेश शर्मा ने गुवाहाटी हाईकोर्ट में दायर एक हलफ़नामे में कहा है कि वह सप्लीमेंट्री सूची थी और उसमें 4,700 अयोग्य नाम शामिल हैं.

अयोग्य व्यक्तियों के नाम एनआरसी में कैसे शामिल हुए, हलफ़नामा दायर कर बताएं: गुवाहाटी हाईकोर्ट

एक महिला को असम के नलबाड़ी ज़िले की विदेशी अधिकरण ने साल 2019 को विदेशी घोषित किया था, उन्होंने अदालत में याचिका दायर कर इसे चुनौती दी थी. मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने एनआरसी के राज्य समन्वयक से एक विस्तृत हलफ़नामा दायर करने का कहा है.

असम: एनआरसी से ‘अपात्र’ लोगों को हटाने के आदेश को अल्पसंख्यक छात्र संघ और जमीयत देंगे चुनौती

31 अगस्त 2019 को जारी हुई असम एनआरसी की अंतिम सूची में 3.3 करोड़ आवेदनकर्ताओं में से 19 लाख से अधिक लोगों के नाम नहीं आए थे. ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन का कहना है कि एनआरसी से बाहर किए गए 19 लाख लोगों में से कई वास्तविक भारतीय नागरिक हैं.

असम: एनआरसी की अंतिम सूची से क़रीब दस हज़ार ‘अपात्र’ लोगों के नाम हटाए जाने के निर्देश

एनआरसी असम के समन्वयक हितेश देव शर्मा ने सभी उपायुक्तों और नागरिक पंजीयन के जिला पंजीयकों को लिखे पत्र में कहा है कि फाइनल सूची में घोषित विदेशी, डी वोटर्स और विदेशी न्यायाधिकरण में लंबित श्रेणियों के लोगों के नाम हैं और इनकी पहचान कर इन्हें डिलीट किया जाए.

असम एनआरसी का एक साल: अंतिम सूची से बाहर रहे 19 लाख लोगों के साथ क्या हुआ

एनआरसी की अंतिम सूची के प्रकाशन के एक साल बाद भी इसमें शामिल नहीं हुए लोगों को आगे की कार्रवाई के लिए ज़रूरी रिजेक्शन स्लिप का इंतज़ार है. प्रक्रिया में हुई देरी के लिए तकनीकी गड़बड़ियों से लेकर कोरोना जैसे कई कारण दिए जा रहे हैं, लेकिन जानकारों की मानें तो वजह केवल यही नहीं है.

असम: एनआरसी सूची आने के साल भर बाद भी दोबारा वेरिफिकेशन की मांग पर अड़ी राज्य सरकार

असम में भारतीयों की पहचान के लिए हुई एनआरसी की अंतिम सूची 31 अगस्त 2019 को प्रकाशित हुई थी, जिसमें 3.3 करोड़ आवेदकों में से 19 लाख से अधिक लोगों को जगह नहीं मिली थी. सत्तारूढ़ भाजपा और एनआरसी मूल याचिकाकर्ता तभी से इसे दोषपूर्ण मानते हुए दोबारा सत्यापन की मांग करते रहे हैं.

असम एनआरसी की सूची में ‘अयोग्य’ लोग शामिल, उनकी पहचान करें अधिकारी: एनआरसी संयोजक

असम एनआरसी की अंतिम सूची के प्रकाशन के लगभग छह महीने बीतने के बाद राज्य के एनआरसी संयोजक हितेश देव शर्मा ने राज्य के सभी 33 ज़िलों के अधिकारियों से इस लिस्ट में शामिल हो गए 'अयोग्य' लोगों के नामों की जांचकर इसकी जानकारी देने को कहा है.

असम: आधिकारिक वेबसाइट से एनआरसी डेटा गायब, गृह मंत्रालय ने कहा- तकनीकी समस्या है

एनआरसी के राज्य संयोजक हितेश देव शर्मा ने बताया कि बड़े पैमाने पर डेटा सेव करने के लिए आईटी कंपनी विप्रो ने क्लाउड सेवा मुहैया कराई थी, जिससे अनुबंध का नवीनीकरण न हो पाने के चलते एनआरसी का डेटा ऑफलाइन हो गया है.

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