बीते 30 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिस तरह से केंद्र सरकार की वर्तमान वैक्सीन नीति को बनाया गया है, इससे प्रथमदृष्टया जनता के स्वास्थ्य के अधिकार को क्षति पहुंचेगी, जो कि संविधान के अनुच्छेद 21 का एक अभिन्न तत्व है. सुप्रीम कोर्ट ने वैक्सीन निर्माता कंपनियों द्वारा अलग-अलग कीमत तय करने के संबंध में केंद्र से जानकारी मांगी थी.
शीर्ष अदालत ने कहा कि विभिन्न वर्गों के नागरिकों के बीच भेदभाव नहीं किया जा सकता है, जो समान हालात का सामना कर रहे हैं. केंद्र सरकार 45 साल और उससे अधिक उम्र की आबादी के लिए मुफ़्ते कोविड टीके प्रदान करने का भार वहन करेगी, राज्य सरकारें 18 से 44 आयु वर्ग की ज़िम्मेदारी का निर्वहन करेंगी, ऐसी शर्तों पर बातचीत कर सकते हैं. केंद्र को अपनी मौजूदा टीका नीति पर फिर से ग़ौर करना चाहिए.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत 13 दलों के नेताओं ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि केंद्र सभी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करें.
भर्ती के मामलों में अस्पतालों द्वारा मरीज़ों से की जा रही मनमानी और अन्यायपूर्ण व्यवहार के मद्देनज़र सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. अदालत को बताया गया था कि कोविड-19 संक्रमित मरीज़ों से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कुछ अस्पताल स्थानीय पते का प्रमाण मांग रहे हैं.
कोविड-19 प्रबंधन पर राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए स्वत: संज्ञान मामले पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने साफ किया कि सोशल मीडिया पर लोगों से मदद के आह्वान सहित सूचना के स्वतंत्र प्रवाह को रोकने के किसी भी प्रयास को न्यायालय की अवमानना माना जाएगा.
फेसबुक ने बृहस्पतिवार की सुबह एक बयान जारी करते हुए कहा कि उसने ग़लती से उस हैशटैग को बाधित किया, जिसमें प्रधानमंत्री के इस्तीफ़े (#ResignModi) की मांग की जा रही है. कंपनी ने स्पष्ट किया कि यह मोदी सरकार के आदेश पर नहीं किया गया.
पूर्वी दिल्ली से भाजपा सांसद गौतम गंभीर द्वारा उनके क्षेत्र में कोरोना के इलाज में काम आने वाली दवा निशुल्क बांटे जाने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने सवाल उठाया कि क्या वे ऐसी दवाइयां बांट सकते हैं और क्या वे इन्हें खरीद सकने के पात्र हैं.
कोविड-19 मामलों में बेतहाशा वृद्धि को ‘राष्ट्रीय संकट’ बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि हाईकोर्ट क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर महामारी की स्थिति पर नज़र रखने के लिए बेहतर स्थिति में है और सुप्रीम कोर्ट पूरक भूमिका निभा रहा है तथा उसके ‘हस्तक्षेप को सही परिप्रेक्ष्य में समझना चाहिए’ क्योंकि कुछ मामले क्षेत्रीय सीमाओं से भी आगे हैं.
कोरोना महामारी की दूसरी लहर आने से पहले देश के कई राज्यों ने अपने स्पेशल कोविड सेंटर बंद कर दिए थे, जिससे स्पष्ट है कि सरकारें कोरोना की अगली लहर की क्षमता का आकलन करने में पूरी तरह नाकाम रहीं.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा कि प्रदेश के किसी भी कोविड अस्पताल में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है. समस्या कालाबाज़ारी और जमाखोरी की है, जिससे सख़्ती से निपटा जाएगा. मुख्यमंत्री ने दावा किया कि राज्य सरकार की कोविड प्रबंधन की तैयारी पहले से बेहतर है.
केंद्र की मोदी सरकार के अनुरोध पर ट्विटर पहले ही भारत में ऐसे क़रीब 50 ट्वीट्स पर रोक लगा चुका है, जो कोविड-19 महामारी की स्थिति को संभालने में सरकार के तरीकों की आलोचना कर रहे थे. अब इन ट्वीट्स को भारत में नहीं देखा जा सकता.
ट्विटर ने भारत में ऐसे क़रीब 50 ट्वीट्स पर रोक लगा दी है जो कोविड-19 महामारी की स्थिति को संभालने में नरेंद्र मोदी सरकार के तरीकों की आलोचना कर रहे थे. अब इन ट्वीट्स को भारत में नहीं देखा जा सकता.
साल 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तान के खतरनाक पैटन टैंक तबाह करने वाले परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद के बेटे अली हसन की कानपुर के एक अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई. उनके बेटे ने दावा किया कि डॉक्टरों ने उनके पिता की कोविड जांच कराने की जहमत भी नहीं उठाई कि पता लग पाता कि वह संक्रमित थे या नहीं.
वीडियो: देश में कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ने की वजह से ऑक्सीजन की कमी के चलते विभिन्न राज्यों में मौत के मामले सामने आ रहे हैं. बीते कुछ दिनों में सैड़कों कोरोना संक्रमित लोगों की मौत इस वजह से हो चुकी है.
दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों द्वारा दायर ऑक्सीजन की कमी संबंधी मामले सुनते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से महामारी की चरम स्थिति आने पर इंफ्रास्ट्रक्चर, अस्पताल, चिकित्साकर्मियों, दवाई, टीका और ऑक्सीजन के आशय में तैयारियों को लेकर सवाल करते हुए कहा कि हम इसे लहर कह रहे हैं, यह असल में एक सुनामी है.