एम्स के प्रोफेसर एलआर मुर्मु ने कहा, पहले कार्यक्रम 13 मई को प्रस्तावित किया गया था और अगर यह उस दिन आयोजित किया जाता तो शायद यह संदेश पायल तक पहुंचता. तब शायद वह अपना फैसला बदल देती.
डॉक्टरों के एक समूह द्वारा 13 मई को आंबेडकर और उच्च शिक्षा के संस्थानों में जातिगत भेदभाव विषय पर एक चर्चा रखी गई थी, जिसके लिए प्रशासन द्वारा कुछ निर्देश जारी किए गए. इसके बाद डॉक्टरों ने इसे मौलिक अधिकारों पर अंकुश लगाने का प्रयास बताते हुए आयोजन स्थगित कर दिया.