कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव द्वारा तैयार रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र में अब तक 36 मामलों में आरटीआई कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न किया गया. 41 अन्य को या तो प्रताड़ित किया गया या नतीजे भुगतने की धमकी दी गई. वहीं, पुख़्ता सबूत होने के बावजूद एक भी मामले में दोषियों को सज़ा नहीं हुई.
भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर करते हुए निर्देश देने की मांग की है कि सभी पंजीकृत और मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियां चार सप्ताह के भीतर जन सूचना अधिकारी, सक्षम प्राधिकरण नियुक्त करें और आरटीआई कानून, 2005 के तहत सूचनाओं का खुलासा करें.
महाराष्ट्र के सामाजिक न्याय राज्यमंत्री के कार्यालय के एक अधिकारी दिलीप कांबले ने विकलांग व्यक्तियों के आयुक्त से दो या इससे अधिक आरटीआई याचिका दायर करने वाले लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने को कहा है.
1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ पर प्रतिबंध लगा था, जिसे साल भर बाद हटाया गया था. इससे जुड़े दस्तावेज़ सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध होने चाहिए, लेकिन न तो ये राष्ट्रीय अभिलेखागार के पास हैं और न ही गृह मंत्रालय के.