राजनीतिक दलों को सूचना का अधिकार के तहत लाने से संबंधित एक आवेदन को ख़ारिज करने के लिए कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने मामले के भारत के उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन होने को आधार बताया था.
प्रदेश कांग्रेस के नेताओं की शिकायत पर 3 जून को चुनाव आयोग ने राज्य की चार विधानसभा सीटों पर फ़र्ज़ी मतदाताओं की जांच के लिए आठ दलों का गठन किया था जिन्होंने 7 जून को अपनी रिपोर्ट आयोग को सौंप दी.
आयोग ने भोपाल ज़िले की नरेला, रायसेन की भोजपुर, होशंगाबाद और सिवनी-मालवा विधानसभा सीट की मतदाता सूची में गड़बड़ी की जांच के लिए दो-दो सदस्यीय दल बनाया हैं. कांग्रेस का आरोप है कि चुनाव जीतने के लिए भाजपा प्रशासनिक दुरुपयोग कर रही है.
चुनाव आयोग ने कहा कि राष्ट्रीय पार्टियां सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आने वाले सार्वजनिक प्राधिकरण हैं.
आरटीआई के तहत भाजपा, कांग्रेस, भाकपा, माकपा, बसपा और राकांपा के राजनीतिक चंदे की मांगी गई जानकारी के जवाब में आयोग ने ऐसा कहा. जबकि, इन दलों को 2013 में केंद्रीय सूचना आयोग आरटीआई के दायरे में लेकर आया था.
चुनाव आयोग ने कहा कि चुनावी आचार संहिता केवल नई योजनाओं की घोषणा और उन्हें शुरू करने पर रोक लगाती है ताकि सत्ताधारी पार्टी से मतदाता प्रभावित न हों.