वीडियो: सरकार एक तरफ घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों को बंद कर रही है या निजी कंपनियों के हाथों बेचकर पैसा जुटाने में लगी है, तो दूसरी ओर सरकारी प्रोजेक्ट को निजी कंपनियों के साथ साझा कर रही है या किराये पर देकर आमदनी बढ़ाने की तैयारी कर रही है. सरकार की ‘नेशनल एसेट मोनेटाइजेशन’ योजना के बारे में विस्तार से बता रहे हैं मुकुल सिंह चौहान.
बीते 24 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सरकार के पास कई ऐसी संपत्तियां हैं, जिसका पूर्ण रूप से उपयोग नहीं हुआ है या वे बेकार पड़ी हुई हैं, ऐसी 100 परिसंपत्तियों का मौद्रिकरण कर 2.5 लाख करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे. उन्होंने कहा था कि उपक्रमों और कंपनियों को समर्थन देना सरकार का कर्तव्य है. लेकिन यह ज़रूरी नहीं है कि सरकार इनका स्वामित्व अपने पास रखे.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मैंने सोनिया गांधी द्वारा 13 जनवरी को नई दिल्ली में बुलाई गई बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है क्योंकि मैं बुधवार को पश्चिम बंगाल में वामपंथी और कांग्रेस की हिंसा का समर्थन नहीं करती.
केंद्र की आर्थिक नीतियों को मज़दूर और जन विरोधी बताते हुए दस मज़दूर संगठनों एक दिवसीय हड़ताल का आयोजन किया था. सार्वजनिक कंपनियों की बिक्री, रेलवे, रक्षा, कोयला समेत अन्य क्षेत्रों में 100 प्रतिशत एफडीआई के ख़िलाफ़ मज़दूर संगठनों ने प्रदर्शन किया.
केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने कहा, 'अगर कोई किसी भी तरह के धरने में शामिल होता है तो सैलरी काटने के अलावा उसके खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.'
फीस बढ़ोतरी और शिक्षा के व्यावसायीकरण का विरोध करने के लिए छात्रों के 60 संगठनों तथा कुछ विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों ने भी दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा आयोजित इस हड़ताल में शामिल होने का फैसला किया है. ट्रेड यूनियनों ने जेएनयू में हिंसा तथा अन्य विश्वविद्यालय परिसरों में इसी तरह की घटनाओं की आलोचना की है.
10 केंद्रीय श्रम संघों के आह्वान पर बुलाई गई इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में 20 करोड़ मज़दूरों के शामिल होने की संभावना. हड़ताली यूनियनों का कहना है कि सरकार ने श्रमिकों के मुद्दों पर उसकी 12 सूत्रीय मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया. सितंबर 2015 के बाद केंद्र सरकार ने यूनियनों से एक बार भी बात नहीं की.
नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन ने कहा कि भाजपा नीत राजग सरकार महिलाओं के लिए न्याय और सशक्तिकरण की बात करती है, लेकिन उसकी यह मंशा बजट में नहीं दिखी.
हम भी भारत की दूसरी कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति पर भारतीय मज़दूर संघ के पवन कुमार और एटक की अमरजीत कौर के साथ चर्चा कर रही हैं.
संगठनों का कहना है कि प्रस्तावित इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड के ज़रिये सरकार मज़दूरों के हड़ताल और विरोध करने के बुनियादी अधिकारों को छीनना चाहती है.