कुछ दशक पहले तक गोरखपुर और इसके आस-पास के क्षेत्र की पहचान बुनकरों के बनाए कपड़ों से होती थी, लेकिन हथकरघों के बंद होने के बाद पावरलूम के ख़र्च न उठा सकने के चलते कइयों ने यह काम छोड़ दिया. अब लॉकडाउन के दौरान हाल यह है कि पावरलूमों पर पूरी तरह ताला लगा हुआ है और दिहाड़ी कारीगर फ़ाक़ाकशी को मजबूर हैं.
ग्राउंड रिपोर्ट: प्रदेश के ज़्यादातर मुसलमान ऐसी पार्टी को वोट देना चाहते हैं जो उनकी सुरक्षा व विकास की गारंटी दे.
ग्राउंड रिपोर्ट: सूरत के कपड़ा व्यापारियों की सारी नाराज़गी जीएसटी लागू करने में केंद्र सरकार के घमंडी रवैये को लेकर है. उनका गुस्सा प्रधानमंत्री के बजाय वित्त मंत्री पर है.
धार्मिक भावना से लैस राजनीति और नेता में धार्मिक प्रवृत्ति, जनता के बड़े समूह का चरित्र किस तरह से बदल देती है, सूरत का आंदोलन उसकी मिसाल पेश कर रहा है.
बनारस और आसपास के ज़िलों के बुनकरों की गाहे-ब-गाहे चर्चा भी हो जाती है, लेकिन गोरखपुर, खलीलाबाद क्षेत्र के बुनकरों पर तो अब चर्चा भी नहीं होती. ऐसा उद्योग जिसमें लाखों लोगों को रोज़गार मिलता था, अब लगभग ख़त्म होने को है.