ग़ालिब और उनका ‘चिराग़-ए-दैर’ बनारस

बनारस को दुनिया के दिल का नुक़्ता कहना दुरुस्त होगा. इसकी हवा मुर्दों के बदन में रूह फूंक देती है. अगर दरिया-ए-गंगा इसके क़दमों पर अपनी पेशानी न मलता तो वह हमारी नज़रों में मोहतरम न रहता.

‘लोग सूरज तोड़ लाए और हम, बंबई को मुंबई करते रहे’

राहत इंदौरी ने कहा, ‘क्या इंदौर को इंदूर किए जाने भर से यह शहर स्मार्ट सिटी बन जाएगा? देश के कई शहरों के नाम बदले गए, इससे आख़िर क्या तब्दीली हुई है?’

बिना नियमित चीफ जस्टिस के चल रहे हैं देश के छह हाईकोर्ट

केंद्र सरकार ने कॉलेजियम द्वारा छह महीने पहले चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति नहीं दी है. सरकार और न्यायपालिका के बीच गतिरोध की स्थिति से देश की विभिन्न अदालतों में 3 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं.

क्यों कुछ लोग मानते हैं कि अयोध्या में रहने वाले गुमनामी बाबा ही सुभाष चंद्र बोस थे

असाधारण जीवन की तरह असाधारण मृत्यु ने नेताजी के इर्द-गिर्द रहस्यों का जाल-सा बुन दिया है. दुखद यह है कि जांच आयोगों के भंवरजाल में नेताजी किसी जासूसी कथा के नायक बन गए हैं.