अमरनाथ यात्रा के बाद किश्तवाड़ ज़िले में 42 दिन तक चलने वाली मचैल माता यात्रा भी रद्द. केंद्र द्वारा घाटी में सेना की अतिरिक्त टुकड़ियों को तैनात करने के आदेश के बाद से कश्मीर में स्थिति तनावपूर्ण है. क़ानून एवं व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की आशंका के चलते लोग राशन और आवश्यक सामान खरीदने की दुकानों के बाहर कतारों में दिखाई दे रहे हैं.
श्रीनगर में सेना ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया गया कि खुफिया जानकारी मिली थी कि आतंकवादी अमरनाथ यात्रा को निशाना बना सकते हैं. इसके बाद यात्रा मार्ग पर खोजी अभियान चलाया गया था. इस दौरान भारी मात्रा में हथियार बरामद हुए हैं. इनमें पाकिस्तान आयुध फैक्ट्री के ठप्पे वाली लैंड माइन और अमेरिकी एम-24 स्नाइपर राइफल भी शामिल हैं.
पत्र में आरपीएफ अधिकारी ने कश्मीर में हालात बिगड़ने की आशंका के मद्देनज़र क़ानून-व्यवस्था से निपटने के लिए कर्मचारियों को कम से कम चार महीने के लिए रसद जमा कर लेने, सात दिन के लिए पानी एकत्र कर लेने और गाड़ियों में ईंधन भरकर रखने को कहा था. घाटी में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा 10 हज़ार जवान तैनात किए जाने के फैसले के बाद घाटी में कई तरह की चर्चाएं हैं.
पुलवामा हमले के बाद भी जम्मू कश्मीर में केंद्रीय बलों की 100 कंपनियां तैनात की गई थीं. पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि जम्मू कश्मीर एक राजनीतिक समस्या है, जो सैन्य विकल्प से नहीं सुलझेगी.