वीडियो: देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर जारी है. इस बीच केंद्र सरकार ने एक मई से 18 से 45 वर्ष की आयु के लोगों के लिए कोविड टीकाकरण शुरू कर दिया है. हालाकि तमाम राज्यों ने वैक्सीन की कमी होने की बात की है. द वायर ने दिल्ली के वैक्सीनेशन सेंटर जाकर वहां का हाल जाना और लोगों से बात की.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि खाद्यान्न देते हुए प्रशासन उन प्रवासी कामगारों को पहचान पत्र दिखाने पर ज़ोर न दे, जिनके पास फ़िलहाल दस्तावेज़ नहीं हैं. पीठ ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सरकारों को यह निर्देश भी दिया कि वे कोविड-19 के कारण फंसे प्रवासी कामगारों में से जो घर जाना चाहते हैं, उनके लिए परिवहन की समुचित व्यवस्था करें.
गांधी परिवार मौजूदा स्थिति में कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ना नहीं चाहता क्योंकि राजनीतिक रूप से यह परिवार बहुत कमज़ोर स्थिति में हैं और अगर इस वक़्त पार्टी हाथ से निकल गई, तो इसके परिणाम दूरगामी होंगे.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि जब टीकाकरण केंद्रों पर जाने में असमर्थ वरिष्ठ नागरिकों के जीवन का सवाल है, तो घर-घर जाकर टीकाकरण का कार्यक्रम क्यों शुरू नहीं किया जाता? इसके अलावा अदालत ने बृहन्मुंबई महानगर पालिका से यह जानना चाहा कि बेघर लोगों, भिखारियों और सड़कों पर रह रहे लोगों के टीकाकरण के लिए उसकी क्या योजना है?
भारत में 23 अप्रैल के बाद से ये लगातार 21वां दिन है, जब कोरोना वायरस संक्रमण के तीन लाख से अधिक नए मामले दर्ज किए गए हैं. इसके साथ ही संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 23,703,665 हो गए हैं और मृतकों की संख्या 258,317 हो गई है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि भारत में जन स्वास्थ्य एवं सामाजिक उपायों के पालन में कमी भी वर्तमान हालात के लिए ज़िम्मेदार रही. दक्षिण पूर्वी एशिया में कोरोना वायरस के कुल मामले और मौतों में भारत की 95 एवं 93 फ़ीसदी हिस्सेदारी है. वहीं यदि वैश्विक स्तर पर देखें तो 50 फ़ीसदी मामले और 30 फ़ीसदी मौतें भारत में हो रही हैं.
सरकारी गोवा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी से 48 घंटे में 47 कोरोना मरीज़ों की मौत हुई है. इस घोर लापरवाही के लिए राज्य की भाजपा सरकार और अधिकारियों को ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है.
भारत कोविड महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा है और अस्पतालों में बिस्तर, ऑक्सीजन, टीका और दवाइयों की कमी का सामना करना पड़ रहा है. अमेरिका के शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फाउची ने कहा कि हमें अपने स्थानीय सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे का निर्माण जारी रखने की ज़रूरत है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह ज़िले गोरखपुर और आस-पास के तीन ज़िलों- देवरिया, महराजगंज और कुशीनगर में कोरोना की दूसरी तीव्र लहर के बीच स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के बुरे हाल हैं. प्रदेश सरकार स्थिति नियंत्रण में होने की बात कह रही है, लेकिन ख़ुद सरकारी आंकड़े इसके उलट इशारा कर रहे हैं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की लचर तैयारियों पर कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि जब सरकार शहरों में ही कोरोना को नियंत्रित करने की जद्दोजहद कर रही है, तो ऐसे में गांव में कोरोना टेस्टिंग और इलाज काफी मुश्किल काम होगा.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 23,340,938 हो गई है और इससे जान गंवाने वालों का आंकड़ा बढ़कर 2.5 लाख के पार हो गया है. विश्व में संक्रमण के 15.97 करोड़ से ज़्यादा मामले आए हैं, जबकि 33.18 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है.
कनार्टक हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि अगर टीके की खुराक की पर्याप्त संख्या की ख़रीद के लिए तत्काल क़दम नहीं उठाए गए हैं, तो टीकाकरण के मूल उद्देश्य के विफल होने की संभावना है, जो कोविड-19 के प्रसार पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है. कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि वह 45 वर्ष से अधिक आयु के 26 लाख लाभार्थियों को किस तरह से टीके उपलब्ध कराने वाली है, जबकि वैक्सीन की केवल 9.37 लाख खुराक उपलब्ध
गोवा के एक सरकारी मेडिकल कॉलेज में हुई घटना. स्वास्थ्य मंत्री ने ऑक्सीजन की कमी होने की बात कहते हुए मामले की जांच हाईकोर्ट से कराने का अनुरोध किया है. वहीं मुख्यमंत्री का कहना है कि ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं. इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि उन्हें किसी ने गुमराह किया है.
कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बाद लॉकडाउन समेत अन्य पाबंदियां से आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिकूल असर पड़ने से नौकरियां प्रभावित हुई हैं. एक निजी शोध एजेंसी सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी ने अपने अध्ययन में कहा है कि नौकरियां जाने की वजह से वेतनभोगी एवं ग़ैर-वेतनभोगी कर्मचारियों की संख्या मार्च में 39.81 करोड़ से घटकर अप्रैल में 39.08 करोड़ हो गईं.
बिहार के सारण से भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी के सांसद निधि से ख़रीदे गए दर्जनों एंबुलेंस के कोरोना महामारी के बावजूद इस्तेमाल नहीं किए जाने के मामले को उजागर करने वाले पूर्व सांसद पप्पू यादव को पुलिस ने लॉकडाउन उल्लंघन के संबंध में हिरासत में लेने के बाद 32 साल पुराने लंबित मामले में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. राज्य सरकार के इस क़दम की राजग में शामिल नेताओं ने अलोचना की है.