1973 बैच के 69 वर्षीय आईपीएस अधिकारी अश्वनी कुमार नगालैंड के राज्यपाल और हिमाचल प्रदेश पुलिस के पूर्व प्रमुख भी रहे थे. बुधवार को शिमला के पास उनके घर में उनका शव फंदे से लटकता मिला. पुलिस ने बताया कि उन्हें एक सुसाइड नोट मिला है जिस पर लिखा है कि वह एक नई यात्रा पर जा रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को चार हफ़्ते के भीतर इस आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट दाख़िल करने का भी निर्देश दिया है कि कितनी यौनकर्मियों को राशन दिया गया. एक याचिका में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी की वजह से यौनकर्मियों की स्थिति बहुत ही ख़राब है. उन्हें राशन कार्ड और दूसरी सुविधाएं उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है.
राज्यसभा में कांग्रेस सांसद पीएल पूनिया ने कहा कि कोविड-19 महामारी में मज़दूरों को रोज़गार ख़त्म हो जाने की वजह से घोर संकट का सामना करना पड़ रहा है. कुछ राज्य सरकारों ने उनकी मदद करने के बजाय उद्योगपतियों के हित में श्रम क़ानूनों में बदलाव किया है.
एक जनहित याचिका में केंद्र और राज्य सरकारों से मांग की गई थी कि कोविड-19 महामारी के दौर में विभिन्न खाद्य सुरक्षा तथा ग़रीबी उन्मूलन योजनाओं का लाभ विशेष रूप से सक्षम लोगों को भी दिया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट के जज डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इन लोगों ने पिछले 70 सालों से इंतज़ार किया है. अब इन्हें और इंतज़ार करने के लिए नहीं कहा जा सकता है. हाशिये पर पड़े लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा और सार्वजनिक अधिकार सुनिश्चित करने की ज़रूरत है.
महाराष्ट्र की औरंगाबाद ज़िले के वालुज स्थित बजाज ऑटो प्लांट का मामला. इस प्लांट के दो कर्मचारियों की संक्रमण से मौत हो चुकी है. कंपनी की ओर से कथित तौर पर कहा गया है यहां पर काम नहीं रुकेगा क्योंकि कंपनी चाहती है कि लोग ‘वायरस के साथ जीना’ सीख लें.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित मुंबई केजे सोमैया हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर को निर्देश दिया कि वे 10.06 लाख रुपये रजिस्ट्री में जमा कराएं. याचिका में आरोप लगाया गया है कि अस्पताल ने ईडब्ल्यूएस श्रेणी के कोरोना मरीज़ से अधिक पैसे वसूले हैं.
बीते दिनों गाज़ीपुर, फर्रुखाबाद और हाथरस के ज़िला प्रशासन ने लॉकडाउन के दौरान मस्जिदों के अज़ान लगाने पर रोक लगाने का मौखिक आदेश दिया था. इस आदेश को रद्द करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि मुअज़्ज़िन मस्जिद से अज़ान दे सकते हैं लेकिन आवाज़ बढ़ाने वाले किसी उपकरण का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
यूएन मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचलेट ने कहा कि इस महामारी से सामना करने के लिए राज्यों को अतिरिक्त शक्तियों की आवश्यकता है. हालांकि अगर कानून के शासन को बरकरार नहीं रखा जाता है तो ये महामारी एक मानवाधिकार आपदा में तब्दील हो जाएगी.