हमारे ‘महान’ खिलाड़ी मुश्किल समय में जनता के साथ क्यों नहीं खड़े होते?

हमारे महान खिलाड़ियों को जनता सिर-आंखों पर बैठाती है, मगर जनता पर जब ऐसी कोई त्रासदी बरपा करती है- जिसके लिए सरकार या समाज का एक वर्ग ज़िम्मेदार हो तो वे ऐसे विलुप्त हो जाते हैं, गोया इस दुनिया में रहते न हों.

हमारे सुपरस्टार सत्ता की ख़ुशामद क्यों करते हैं?

एक बार शोहरत या पैसा, या दोनों हासिल कर लेने के बाद भारतीय अभिनेता, कारोबारी और खिलाड़ी सामाजिक मुद्दों या सरकार के ख़िलाफ़ बोलकर इसे दांव पर लगाने का ख़तरा मोल नहीं लेना चाहते.