सरकार की तरफ से पेश हुए वकील श्याम दीवान ने पीठ से अनुरोध किया है कि आधार के ख़िलाफ़ याचिकाओं पर जल्द से जल्द सुनवाई हो.
मैं यह नहीं कहना चाहता कि किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री को कभी इज़रायल नहीं जाना चाहिए. लेकिन ये यात्रा कुछ इस तरह से हुई जैसे अरब कहीं है ही नहीं और फिलिस्तीनी देश बस एक मिथक है. उस पवित्र ज़मीन की एकमात्र हकीकत इज़रायल, इज़रायल और सिर्फ इज़रायल है.
इस साल बाढ़ से असम में अब तक 33 लोगों की मौत हो चुकी है. राज्य का लखीमपुर ज़िला सबसे बुरी तरह से प्रभावित हुआ है.
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अमरनाथ तीर्थयात्रियों पर आतंकवादी हमले की राज्य की जनता ने कड़ी निंदा करके कश्मीरियत की भावना को बरकरार रखा है.
जन गण मन की बात की 80वीं कड़ी में विनोद दुआ भाजपा के कुछ नेताओं द्वारा फर्ज़ी ख़बरों को फैलाने और एयर इंडिया की इकोनॉमी श्रेणी में मासांहार बंद होने पर चर्चा कर रहे हैं.
मंगेश दिवंगत नाटककार विजय तेंदुलकर के छोटे भाई थे. उन्होंने अपने कार्टूनों के माध्यम से यातायात संबंधी मामलों पर जागरूकता पैदा की थी.
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की.
दशहरा के मौके पर रावण के पुतले जलाने पर पाबंदी की मांग वाली जनहित याचिका को उच्चतम न्यायालय ने किया खारिज.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में 18 दलों की बैठक में हुआ फैसला.
खेती से जुड़े किसी भी काम को अकुशल श्रम माना जाता है. क्या मिट्टी की पहचान के साथ फसल तय करने में बुद्धि का इस्तेमाल नहीं होता? बीज अंकुरित होगा या नहीं, यह जांचना गैर-तकनीकी काम है? कौन से उर्वरक-खाद डालना है, कब डालना है, क्या यह विशेषज्ञता का काम नहीं है?
मीडिया बोल की पांचवीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, द हूट की संपादक सेवंती निनान और एनडीटीवी की वरिष्ठ संपादक निधि कुलपति के साथ बंगाल के बसीरहाट और बादुरिया की सांप्रदायिक हिंसा के मीडिया कवरेज पर चर्चा कर रहे हैं.
असम और अरुणाचल प्रदेश में हालात नाज़ुक. अरुणाचल प्रदेश में तीन दिन से हो रही बारिश से प्रमुख नदियां ख़तरे के निशान से ऊपर.
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट से दोहरा झटका लगा है.
राजस्थान के पर्यावरण मंत्री राजकुमार रिणवा ने सेना के ख़िलाफ़ बयान देने वाले नेताओं को लेकर यह टिप्पणी की है.
शिक्षकों ने पत्र लिखकर आरोप लगाया कि केजी सुरेश की अध्यक्षता में आईआईएमसी प्रशासन काफी मनमाना, अपारदर्शी और कामचलाऊ हो गया है.