जन्मदिन विशेष: गुरुदत्त फिल्म इंडस्ट्री का एक ऐसा सूरज थे, जो बहुत कम वक़्त के लिए अपनी रौशनी लुटाकर बुझ गया पर सिल्वर स्क्रीन को कुछ यूं छू कर गया कि सब सुनहरा हो गया.
अख़बारों के पन्नों से झांकती ये कहानियां बताती हैं कि हम कितने अकेले हो गए हैं और हमारे भीतर का इंसान टूटता जा रहा है.