गुजरात विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त एक कॉलेज की छात्रा ने आरटीआई दायर कर इंटर्नल परीक्षा के मार्कशीट की प्रतियां मांगी थीं, लेकिन संस्थान ने कहा कि पहले वे अपनी भारतीय नागरिकता साबित करें. छात्रा का कहना है कि संविधान या आरटीआई एक्ट में ऐसा कोई नियम नहीं है और वह इसे हाईकोर्ट में चुनौती देंगी.
इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने कहा कि चूंकि अब स्थिति हद से बाहर निकल गई है इसलिए उन्हें ऐसा क़दम उठाना पड़ रहा है. दो हफ्ते पहले एबीवीपी ने गुहा को एंटी-नेशनल क़रार देते हुए वाइस चांसलर से उनकी नियुक्ति रद्द करने की मांग की थी.
गुजरात विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर ने एक फेसबुक पोस्ट में दावा किया है कि नरेंद्र मोदी की डिग्री में जिस पेपर का उल्लेख किया गया है, उस समय एमए के दूसरे साल में ऐसा कोई पेपर नहीं था.