मध्य प्रदेश में भोपाल गैस पीड़ितों के लिए काम कर रहे चार संगठनों ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर कहा कि भारत बॉयोटेक के ‘कोवैक्सीन’ टीके के क्लीनिकल परीक्षण में भाग ले रहे लोगों की सुरक्षा और उनके हकों को नजरअंदाज करने के लिए ज़िम्मेदार अधिकारियों और संस्थाओं के ख़िलाफ़ दंडात्मक कार्रवाई और मुआवज़े की मांग भी की है.
विशेष रिपोर्ट: भोपाल के पीपुल्स अस्पताल पर आरोप है कि उसने गैस त्रासदी के पीड़ितों समेत कई लोगों पर बिना जानकारी दिए कोरोना की वैक्सीन के ट्रायल किए, जिसके बाद तबियत बिगड़ने पर उनका निशुल्क इलाज भी नहीं किया गया. अस्पताल और स्वास्थ्य मंत्री ने ऐसा होने से इनकार किया है.
गैस पीड़ितों के लिए काम कर रहे संगठनों ने कहा कि भोपाल में कोविड-19 से त्रासदी पीड़ितों की मृत्यु दर अन्य लोगों से करीब 6.5 गुना ज्यादा है. हालांकि भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास निदेशक ने इस दावे को ख़ारिज किया है.
भोपाल गैस पीड़ितों के लिए काम रहे चार एनजीओ ने शहर में कोविड-19 से हुई मौतों पर जारी रिपोर्ट में बताया है कि 11 जून तक भोपाल में कोरोना से 60 मौतें हुई थीं, जिनमें से 48 गैस पीड़ित थे.
ग्राउंड रिपोर्ट: भोपाल में यूनियन कार्बाइड का कचरा भूजल के रास्ते शहर की ज़मीन में ज़हर घोल रहा है. लाखों लोगों की ज़िंदगी दांव पर लगी है लेकिन प्रदेश की राजनीति में मुख्य मुक़ाबले में रहने वाले दोनों दल- भाजपा और कांग्रेस ने गैस पीड़ितों को लेकर चुप्पी साध रखी है.