सवाल यह है कि अजय सिंह बिष्ट उपनाम योगी आदित्यनाथ की ताजपोशी को कैसे देखा जाए? आरंभ में आपको अटपटा लग सकता है लेकिन थोड़ा धैर्य से सोचेंगे तो पाएंगे कि संन्यासी का राजनीति से एक नाभि-नाल का संबंध रहा है.
बनारस और आसपास के ज़िलों के बुनकरों की गाहे-ब-गाहे चर्चा भी हो जाती है, लेकिन गोरखपुर, खलीलाबाद क्षेत्र के बुनकरों पर तो अब चर्चा भी नहीं होती. ऐसा उद्योग जिसमें लाखों लोगों को रोज़गार मिलता था, अब लगभग ख़त्म होने को है.