वसुंधरा राजे से राजपूतों की नाराज़गी का खामियाज़ा भाजपा को भुगतना पड़ सकता है

वीडियो: मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कारण राजपूत राजस्थान चुनाव में भाजपा का चुनावी खेल उसी तरह बिगाड़ सकते हैं, जैसे 2013 में जाटों की अशोक गहलोत के ख़िलाफ़ नाराज़गी ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया था.

राजस्थान में राजे से राजपूतों की नाराज़गी का खामियाज़ा भाजपा को भुगतना पड़ सकता है

विशेष रिपोर्ट: वसुंधरा राजे के कारण राजपूत राजस्थान चुनाव में भाजपा का चुनावी खेल उसी तरह बिगाड़ सकते हैं, जैसे 2013 में जाटों की अशोक गहलोत के ख़िलाफ़ नाराज़गी ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया था.

राजस्थान में तीसरा मोर्चा इस बार भी सुर्ख़ियों से आगे बढ़ता हुआ दिखाई क्यों नहीं दे रहा

ग्राउंड रिपोर्ट: सूबे में कांग्रेस व भाजपा को टक्कर देने के लिए हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने घनश्याम तिवाड़ी, सपा और रालोद के साथ चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान किया है. यह गठजोड़ सुर्ख़ियां तो खूब बटोर रहा है, लेकिन इसकी सफलता पर संशय बरक़रार है.

राजस्थान: मुख्यमंत्री राजे के गढ़ में ही भाजपा कार्यकर्ताओं ने लगाए ‘वसुंधरा वापस जाओ’ के नारे

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विधानसभा क्षेत्र झालावाड़ में भाजपा कार्यकर्ताओं ने 9 अगस्त को 'भारत छोड़ो आंदोलन' की तर्ज पर 'वसुंधरा झालावाड़ छोड़ो' आंदोलन चलाया. लगभग 1000 कार्यकर्ताओं ने 500 मोटरसाइकल पर सवार होकर रैली निकाली और नारे लगाए.

‘देश में आज जो अघोषित आपातकाल लागू है वह घोषित से अधिक ख़तरनाक है’

भाजपा से छह बार विधायक और दो बार मंत्री रहे राजस्थान के घनश्याम तिवाड़ी ने यह पत्र पार्टी से इस्तीफ़ा देते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को लिखा है.

राजस्थान में भाजपा को बड़ा झटका, छह बार विधायक रहे घनश्याम तिवाड़ी ने पार्टी छोड़ी

आपातकाल लागू होने के दिन इस्तीफ़ा देने पर घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि पिछले चार साल से देश अघोषित आपातकाल के दौर से गुज़र रहा है.

राजस्थान: सरकार ने वापस लिया विवादित विधेयक

विधेयक के मुताबिक किसी लोकसेवक के ख़िलाफ़ मुक़दमे के लिए सरकार की मंज़ूरी आवश्यक बताई गई थी. साथ ही मीडिया द्वारा सरकार के जांच आदेश से पहले किसी का नाम छापने पर सज़ा का प्रावधान था.

क्या राजस्थान में वसुंधरा का विकल्प तलाशना भाजपा की मजबूरी बन गया है?

लोकसभा की दो और विधानसभा की एक सीट के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा की करारी हार के बाद प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा ने फिर से ज़ोर पकड़ लिया है.

राष्ट्रीय प्रेस दिवस: राजस्थान पत्रिका ने संपादकीय कॉलम ख़ाली छोड़ा

राष्ट्रीय प्रेस दिवस के मौके पर राजस्थान की वसंधुरा सरकार के ‘काले क़ानून’ पर अपना विरोध दर्ज कराते हुए राजस्थान पत्रिका अख़बार ने अपना संपादकीय ख़ाली छोड़ दिया.

जब तक ‘काला क़ानून’ वापस नहीं होता, मुख्यमंत्री वसुंधरा का बहिष्कार करेंगे: राजस्थान पत्रिका

अख़बार के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने एक लेख में लिखा, वसुंधरा राजे जब तक विवादित क़ानून को वापस नहीं लेतीं, तब तक अख़बार उनसे संबंधित समाचारों का प्रकाशन नहीं करेगा.'

राजस्थान में लोकतंत्र का गला घोंटने वाले बिल का विरोध करूंगा: भाजपा विधायक

एडिटर्स गिल्ड ने कहा, यह विधेयक मीडिया को परेशान करने का एक घातक साधन है, जो सरकारी कर्मियों के ग़लत कृत्यों को छुपाता है और प्रेस की स्वतंत्रता पर रोक लगाता है.

राजस्थान में पार्टी चापलूसों का दरबार बनती जा रही है: भाजपा विधायक

सांगानेर विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने दावा किया कि संघ से जुड़े सभी संगठन वसुंधरा सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही.