उत्तर प्रदेश सरकार ने पंचायत चुनाव के लिए वर्ष 1995 को आधार वर्ष मानकर चुनाव क्षेत्रों का आरक्षण किया था, जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने 11 फरवरी, 2021 के शासनादेश को यह कहकर रद्द कर दिया कि उससे आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बाहर जा रही थी.
मेधा ने कहा कि जिन लोगों ने संविधान की शपथ ली है ,वे ही संविधान के मूल्यों के खिलाफ काम कर रहे हैं. ऐसे में जनांदोलनों से जुड़े लोगों की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है.