वीडियो: संविधान के अनुच्छेद 17 के तहत जातिवाद के आधार पर होने वाली छुआछूत या अस्पृश्यता के भेदभाव को गैर-संविधानिक माना गया है. वहीं, अनुच्छेद 18 के तहत सभी प्रकार की उपाधि देने की व्यवस्था को ख़त्म कर दिया गया. इनके बारे में विस्तार से बता रही हैं सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अवनि बंसल.
जैसे आर्थिक नीतियों को देशवासियों के बजाय कॉरपोरेट के लिए उदार बनाने की प्रक्रिया को उदारवाद का नाम दिया गया और देश के संसाधनों की लूट की खुली छूट देने को विकास के लिए सुधार कहा जाता है, क्या वैसे ही अब सारी अलोकतांत्रिकताओं को लोकतंत्र कहा जाने लगेगा?
पेरियार ने कहा था, 'हमें यह मानना होगा कि स्वराज तभी संभव है, जब पर्याप्त आत्मसम्मान हो, अन्यथा यह अपने आप में संदिग्ध मसला है.' भारतीय संविधान की उद्देशिका बताती है कि भारत अब एक संप्रभु और स्वाधीन राष्ट्र है, लेकिन इसे अभी 'स्वतंत्र' बनाया जाना बचा हुआ है.
हिंदी दिवस पर विशेष: जितना बोझ आप बच्चों पर लाद रहे हैं डेढ़ लाख शब्दों का स्त्रीलिंग पुल्लिंग याद करने का, उतना मेहनत में बच्चा रॉकेट बना देगा.
छात्रों का आरोप है कि पिछले साल शुरू हुई शुद्ध शाकाहारी मेस की मांग अब पूरी तरह छुआछूत में बदल गई है.
केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्री ने कहा कि नेताओं को दलितों के घर भोजन करने के बजाय उनकी मूल समस्याओं को हल करने की कोशिश करना चाहिए. अशिक्षा, अत्याचार निवारण और दलितों के विकास पर काम होना चाहिए.
हिमाचल विश्वविद्यालय में ओम प्रकाश वाल्मीकि की ‘जूठन’ बीते 3 सालों से पढ़ाई जा रही थी, तब भावनाएं अचानक कहां से आहत हो गईं? क्या इसका ताल्लुक़ राज्य में हुए हालिया सत्ता परिवर्तन से है?
साल 2047 तक छुआछूत मिटाने को लेकर शुरू हुए अभियान पर मानवाधिकार कार्यकर्ता और गुजरात के नवसर्जन ट्रस्ट के संस्थापक मार्टिन मैकवान से अजय आशीर्वाद की बातचीत.
11 अगस्त को झारखंड के अधिकतर हिंदी अख़बारों में छपे एक सरकारी विज्ञापन में गांधी के नाम से धर्मांतरण के संबंध में वो बातें लिखी गईं, जो उन्होंने कभी कही ही नहीं थीं.