चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया. लोजपा ने कहा कि पार्टी चाहती है कि भाजपा राज्य में भविष्य की सरकार का नेतृत्व करे और उसके विधायक इस उद्देश्य के लिए काम करेंगे.
विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी महागठबंधन से नाराज़ रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने बसपा और जनवादी सोशलिस्ट पार्टी के साथ नया मोर्चा बनाया है. उनके अनुसार जनता नीतीश कुमार के 15 वर्षों के कुशासन से मुक्ति चाहती है, वहीं राजद नीत गठबंधन में भी मुख्यमंत्री पद का मज़बूत चेहरा नहीं है.
रविवार को मुख्यमंत्री आवास पहुंचकर जदयू की सदस्यता लेने के बाद गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि वे आगामी चुनाव लड़ने या न लड़ने के बारे में निर्णय नहीं ले सकते. दल फ़ैसला करेगा कि वह किस तरह से उनकी सेवा लेना चाहता है.
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा का वर्तमान कार्यकाल 29 नवंबर को ख़त्म हो रहा है. चुनाव के लिए तीन चरणों में 28 अक्टूबर, 03 और 07 नवंबर को मतदान होगा. चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही राज्य में चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है.
बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने साल 2009 में पहली बार वीआरएस लिया था और तब चर्चा थी कि वे भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे, हालांकि ऐसा नहीं हुआ. अब विधानसभा चुनाव से कुछ ही महीने पहले उनके दोबारा वीआरएस लेने के निर्णय को उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से जोड़कर देखा जा रहा है.
हाल ही में राजद से इस्तीफ़ा देने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह कोविड-19 से उबरने के बाद की जटिलताओं की वजह से बीमार पड़ गए थे, जिसके बाद उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था.
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की जांच सीबीआई, ईडी और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो कर रहे हैं और तीनों ही केंद्र सरकार के अधीन हैं. केंद्र और बिहार में एनडीए की ही सरकार है. ऐसे में सवाल है कि ‘जस्टिस फॉर सुशांत सिंह राजपूत’ हैशटैग चलाकर बिहार में भाजपा जस्टिस किससे मांग रही है?
यह सही है कि समय पर चुनाव करवाना चुनाव आयोग की ज़िम्मेदारी है, मगर जिस राज्य में महामारी का आलम ये हो कि मुख्यमंत्री ही तीन महीने बाहर न निकलें, वहां सात करोड़ मतदाताओं के साथ एक माह तक चुनाव प्रक्रिया चलाना बीमारी के जोखिम को और बढ़ा सकता है.
बिहार में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इसके मद्देनज़र बिहार प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि जब-जब भाजपा, जदयू और लोजपा साथ आई हैं, तब-तब एनडीए की जीत हुई है.
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजद ने अपने तीन विधायकों को छह साल के लिए पार्टी से बाहर कर दिया है. तीनों विधायकों के जदयू में शामिल होने की संभावना है.
विपक्षी दलों ने सत्तारूढ भाजपा-जदयू गठबंधन द्वारा ज़ोर-शोर से की जा रहीं वर्चुअल रैलियों के ख़िलाफ़ चुनाव आयोग से गुहार लगाते हुए कहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव पूरी तरह से डिजिटल माध्यम से नहीं हो सकता है. डिजिटल अभियान पर किए जाने वाले ख़र्च की सीमा तय की जानी चाहिए.
साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इस राजनीतिक घटनाक्रम से राजद को बड़ा झटका लगा है. पांच एमएलसी के पार्टी छोड़ने के बाद 75 सदस्यीय सदन में राजद के सदस्यों की संख्या महज़ तीन रह गई है. पर्याप्त संख्या बल के बिना राबड़ी देवी नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी गंवा सकती हैं.
देश के आम नागरिक, गैर-दलीय राजनीतिक कार्यकर्ता, कांग्रेस सहित सामाजिक न्याय के पक्षधर क्षेत्रीय दल और वाम दल सभी चाहते हैं कि मिलकर संघर्ष किया जाए. वे इस बात के लिए तैयार हैं कि भाजपा की विखंडनकारी और तानाशाही प्रवृतियों के ख़िलाफ़ यह लड़ाई चुनावी मोर्चे के साथ राष्ट्र-निर्माण के लिए भी हो.
बिहार के गोपालगंज में रविवार देर रात माकपा-माले नेता जेपी यादव के माता-पिता और भाई की गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस मामले में आरोपी जदयू विधायक अमरेंद्र पांडे के भाई और भतीजे को गिरफ्तार कर लिया गया है. वहीं मंगलवार को विधायक के करीबी शशिकांत तिवारी की गोली मारकर हत्या कर दी गई.
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने ‘बात बिहार की’ नाम से एक अभियान की शुरुआत की है. इस अभियान को लेकर प्रशांत किशोर पर आइडिया चोरी करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई गई है.