मामला तमिलनाडु के कडलूर ज़िले का है. पिछले साल दिसंबर में पंचायत प्रधान चुनी गईं दलित एस. राजेश्वरी कई बैठकों में उसी पंचायत के उप-प्रधान ने ज़मीन पर बैठने को मजबूर किया. आरोप है कि कई अवसरों पर महिला प्रधान को झंडा भी नहीं फ़हराने दिया गया.
भारतीयों के मन में व्याप्त दोहरापन यही है कि वह ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों पर होने वाली ज़्यादतियों से उद्वेलित दिखते हैं, पर अपने यहां के संस्थानों में आए दिन दलित-आदिवासी या अल्पसंख्यक छात्रों के साथ होने वाली ज़्यादतियों को सहजबोध का हिस्सा मानकर चलते हैं.
परमाणु ऊर्जा विभाग की एक महिला कर्मचारी ने आरोप लगाया है कि उन्हें न सिर्फ़ उपयुक्त पद देने से इनकार कर दिया गया बल्कि उनका डिमोशन भी कर दिया गया. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने इस मामले में पुलिस से जल्द से जल्द जांच रिपोर्ट मांगी है.
आईआईटी कानपुर ने दलित शिक्षक सुब्रमण्यम सदरेला की पीएचडी थीसिस रद्द करने की सिफारिश की है, जिन्होंने अपने चार सहकर्मियों के ख़िलाफ़ उत्पीड़न का आरोप लगाया था.