जामिया हिंसा: पुलिस पर एफआईआर की याचिका ख़ारिज, अदालत ने कहा- आधिकारिक ड्यूटी थी

दिसंबर 2019 में सीएए के ख़िलाफ़ एक प्रदर्शन में हुई झड़प के बाद दिल्ली पुलिस ने जामिया मिलिया परिसर में घुसकर लाठीचार्ज किया था, जिसमें क़रीब 100 लोग घायल हुए थे. विश्वविद्यालय ने बिना अनुमति प्रवेश और छात्रों व सुरक्षा गार्डों पर हमले के आरोप में पुलिस पर एफआईआर दर्ज करने की याचिका दायर की थी.

सीएए का विरोध क्यों ज़रूरी था और है?

वीडियो: भारत सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध 11 दिसंबर 2019 से दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया से शुरू हुआ था. इस क़ानून के पारित किए जाने और उसके विरोध के एक वर्ष पूरे होने पर आंदोलन की प्रासंगिकता और महत्व पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. अपूर्वानंद का नज़रिया.

जामिया हिंसा का एक साल: ‘पुलिस द्वारा की गई बर्बरता को भूल पाना आसान नहीं’

वीडियो: बीते साल 15 दिसंबर को नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र-छात्राएं विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. इस दौरान हुई झड़प के बाद दिल्ली पुलिस ने विश्वविद्यालय परिसर में घुसकर लाठीचार्ज किया था, जिसमें क़रीब 100 लोग घायल हुए थे. वहीं, एक छात्र की एक आंख की रोशनी चली गई थी.

जामिया हिंसा के एक साल बाद भी एफ़आईआर दर्ज नहीं, अब उम्मीद भी नहींः कुलपति

बीते साल दिसंबर में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शन के बाद दिल्ली पुलिस ने जामिया मिलिया इस्लामिया परिसर में घुसकर लाठीचार्ज किया था, जिसमें क़रीब 100 लोग घायल हुए थे. वहीं, एक छात्र की एक आंख की रोशनी चली गई थी.

एनएचआरसी के अनुसार जामिया हिंसा से पेशेवर तरीके से नहीं निपटी पुलिस: दिल्ली हाईकोर्ट

जामिया हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट को अपने समर्थन में दिल्ली हाईकोर्ट के सामने रखा था. अदालत का कहना है कि रिपोर्ट को किसी भी पक्ष को दी गई क्लीन चिट के तौर पर नहीं देखा जा सकता.

जामिया हिंसा संबंधी याचिकाएं एजेंडा पर आधारित: दिल्ली पुलिस

दिसंबर 2019 में सीएए के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शन के बाद दिल्ली पुलिस ने जामिया मिलिया परिसर में घुसकर लाठीचार्ज किया था, जिसमें क़रीब 100 लोग घायल हुए थे. इस बारे में दायर याचिकाओं पर पुलिस ने अदालत में कहा कि उन्हें ऐसे लोगों ने दायर किया है, जिनके अधिकारों का उल्लंघन नहीं हुआ.

मैं एनआरसी में शामिल होने से इनकार करता हूं…

अगर नागरिकता संशोधन क़ानून दूसरे देशों के मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है, तो एनआरसी भारत के मौजूदा नागरिकों के प्रति शत्रुतापूर्ण है, जिसके कारण यह कहीं ज़्यादा ख़तरनाक है.

नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ छिड़ा जन आंदोलन और इसके मायने

नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ शुरू हुए आंदोलन का हासिल यह है कि आज हर कोई यह सवाल कर रहा कि आख़िर इस क़ानून की ज़रूरत क्या थी, एनआरसी क्यों लाई जाएगी. इस पर भी चर्चा शुरू हो गई है कि अगर वोटर कार्ड है, आधार है तो अब रजिस्ट्रेशन किस बात का.

अभिनेता सुशांत सिंह का दावा, नागरिकता क़ानून के विरोध पर क्राइम शो से निकाले गए

क्राइम शो ‘सावधान इंडिया’ पेश करने वाले अभिनेता सुशांत सिंह ने कहा कि जब मेरे बच्चे बड़े होंगे और पूछेंगे कि जब छात्रों को प्रताड़ित किया जा रहा था, तब मैं क्या कर रहा था तो मेरे पास जवाब हो चाहिए.