अनिल अंबानी समूह पर 45,000 करोड़ रुपये का कर्जा है. अगर आप किसान होते और पांच लाख का कर्जा होता तो सिस्टम आपको फांसी का फंदा पकड़ा देता. अनिल अंबानी राष्ट्रीय धरोहर हैं. ये लोग हमारी जीडीपी के ध्वजवाहक हैं. भारत की उद्यमिता की प्राणवायु हैं.
अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय की ओर से जारी किए गए अध्ययन में बताया गया है कि जीडीपी में वृद्धि के साथ नौकरियों के मौके कम हो गए हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री ने 15-20 पूंजीपतियों के लिए नोटबंदी की थी. यह ग़लती नहीं बल्कि छोटे उद्योगों और छोटे व्यापारियों पर हमला था.
कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन शासन के दौरान औसतन 8.1 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर मोदी सरकार के कार्यकाल की औसत वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत से अधिक रही है.
आज़ादी के 71 साल: सरकार यह महसूस नहीं करती है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और सामाजिक सुरक्षा पर किया गया सरकारी ख़र्च वास्तव में बट्टे-खाते का ख़र्च नहीं, बल्कि बेहतर भविष्य के लिए किया गया निवेश है.
यह वह दिन है, जब तत्कालीन वित्तमंत्री डाॅ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा में वित्तवर्ष 1991-92 का आम बजट पेश करते हुए भारत के आर्थिक नीतियों में बदलाव की घोषणा की थी.
भारत की आबादी एक अरब 37 करोड़ है और फ्रांस की साढ़े छह करोड़. फ्रांस की प्रति व्यक्ति जीडीपी भारत से 20 गुना ज़्यादा है. ये आपको अरुण जेटली नहीं बताएंगे क्योंकि इससे हेडलाइन की चमक फीकी हो जाती है.
नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि भारत भले ही दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन हमारी प्रति व्यक्ति आय फ्रांस के मुकाबले 20 गुना कम है.
नोटबंदी के फ़ैसले के बाद से अर्थव्यवस्था के और अधिक वित्तीयकरण के प्रयासों का परिणाम होगा कि आगे किसी भी वैश्विक आर्थिक संकट के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को ज़्यादा चोट पहुंच सकती है.
एक ऑस्ट्रेलियाई संस्थान की 163 देशों की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि हिंसा से 2017 के दौरान भारत को जीडीपी के नौ प्रतिशत के बराबर नुकसान हुआ है. यह नुकसान प्रति व्यक्ति 40 हजार रुपये से अधिक है.
मोदी सरकार आने के बाद पहली बार रिज़र्व बैंक ने रेपो दरों में 0.25 फीसदी का इज़ाफ़ा किया है. अब रेपो रेट 6.25 प्रतिशत और रिवर्स रेपो रेट 6 प्रतिशत है.
उपचुनाव परिणाम बता रहे हैं कि अब जुमलों से काम नहीं चलने वाला.
बेस्ट ऑफ 2018: प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत दी गई पात्रता शर्तें इसका उद्देश्य पूरा करने की राह में रोड़ा हैं.
यह बजट दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के बारे में न होकर एक ऐसे देश का बजट था, जो स्वास्थ्य पर दुनिया के किसी भी देश की तुलना में कम ख़र्च करता है, जहां सरकार चाहे कोई भी हो, नागरिकों के स्वास्थ्य को लेकर कोई प्रतिबद्धता नहीं दिखाती.
अदालत ने कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा पर सरकारी निवेश न्यूनतम. हेल्थकेयर पर जीडीपी का महज़ 0.3 फीसदी होता है ख़र्च.