असाधारण दिखना तानाशाह की मजबूरी होती है- यही बात उसकी सत्ता को वैधता देती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी असाधारण हो जाना चाहते हैं. पिछले पांच सालों में वह अनगिनत बार ख़ुद को असाधारण साबित करने की कोशिश करते रहे हैं.
बीते कई दशकों से एक साधन-संपन्न और बड़ा केंद्रीय विश्वविद्यालय होने के बावजूद बीएचयू पूर्वांचल में ज्ञान और स्वतंत्रता की संस्कृति का केंद्र क्यों नहीं बन सका!