अब जब देश में सारी व्यवस्थाएं धीरे-धीरे खुलने लगी हैं, तब ऐसा दिखाने की कोशिश हो रही है कि भूख और रोजी-रोटी की समस्या ख़त्म हो गई है. जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है.
बीते दो महीनों में दिल्ली में हज़ारों लोगों के बीच खाना और राशन पहुंचाते हुए देखा कि हम भूख के अभूतपूर्व संकट से गुजर रहे हैं. सैकड़ों लोग बेबसी और अनिश्चितता के अंधेरे में जी रहे हैं, उन्हें नहीं पता कि अगला निवाला उन्हें कब और किसके रहमोकरम पर मिलने वाला है.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि झुग्गियों में रहने वालों से बिना सूचना दिए घर ख़ाली कराना क़ानून के विपरीत है. अधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि विस्थापित लोगों का तत्काल पुनर्वास हो.