क्यों हम दूसरे की पीड़ा महसूस नहीं कर पाते

वर्तमान समाज को सहानुभूति की नहीं, समानुभूति की ज़रूरत है. आज नीति बनाने वालों में ही 'समानुभूति' का तत्व खत्म हो चुका है. नीति बनाते समय उन्हें आंकड़े चाहिए होते हैं, एहसास नहीं.

‘भारत में हिंदुत्ववादी कट्टरपंथियों के कारण मीडिया में सेल्फ सेंसरशिप की प्रवृत्ति बढ़ी’

अंतरराष्ट्रीय संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स का कहना है कि 2015 से अब तक सरकार की आलोचना करने वाले नौ पत्रकारों की हत्या कर दी गई.

कश्मीर से ग्राउंड रिपोर्ट: जो कश्मीरी पंडित घाटी छोड़कर नहीं गए वो आज किस हाल में हैं?

जब आतंकवाद के चलते कश्मीर से बड़ी संख्या में हिंदू पलायन कर रहे थे तब भी कुछ परिवारों ने घाटी में रहने का फैसला किया था.