शायर अनवर जलालपुरी ऐसे गुलाब थे जिसकी ख़ुशबू जलालपुर की सरहदों को पार कर पूरी दुनिया में फैली और दिलों को महकाया.
अनवर जलालपुरी को याद करते हुए मशहूर शायर मुनव्वर राना कहते है कि एक टीचर के बतौर वो हमेशा यही चाहते थे कि मुशायरे का स्तर ख़राब न हो. वो सांप्रदायिकता और अश्लीलता की तरफ न जाये.
जन्मदिन विशेष: इस सियासी उथल-पुथल में एक बुजुर्ग की हैसियत से मुझे ख़ौफ़ लगता है कि कहीं हिंदुस्तान में ज़बान, तहज़ीब और मज़हब के आधार पर कई हिंदुस्तान बन जाएं. यह बहुत अफ़सोसनाक होगा.