‘दलित’ के बजाय ‘अनुसूचित जाति’ का इस्तेमाल: ऐसे बेहिस तर्कों का हासिल क्या है?

आज की तारीख़ में ज़्यादातर दलितों को ख़ुद को ‘दलित’ कहलाने में किसी भी तरह के अपमान का बोध नहीं होता. इसके उलट यह शब्द उनकी एकता का प्रेरक बन गया है, लेकिन सरकार को वह उनके प्रति बेहद अपमानजनक लग रहा है.

मीडिया बोल, एपिसोड 66: सवर्ण भारत बंद, किसान-मज़दूर रैली और समलैंगिक आज़ादी का उल्लास

मीडिया बोल की 66वीं कड़ी में उर्मिलेश एससी-एसटी एक्ट को लेकर सवर्णों द्वारा किए गए भारत बंद, दिल्ली में किसान और मज़दूर संगठनों की रैली और समलैंगिक संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर लाने पर वरिष्ठ पत्रकार शैलेष और दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रतन लाल से चर्चा कर रहे हैं.

क्या ‘मैं भी अर्बन नक्सल’ का नारा बुनियादी सवालों से दूर ले जा रहा है?

सामाजिक कार्यकर्ताओं पर हालिया कार्रवाई के ख़िलाफ़ जो जनाक्रोश उभरा है उसमें ‘नक्सल’ शब्द और इसके पीछे के ठोस ऐतिहासिक संदर्भों को बार-बार सामने रखना ज़रूरी है ताकि यह शब्द महज़ एक आपराधिक प्रवृत्ति के तौर पर ही न देखा जाए बल्कि इसके पीछे मौजूद सरकारों की मंशा भी उजागर होती रहे.

सवर्ण संगठनों के भारत बंद आंदोलन का विभिन्न राज्यों में मिला-जुला असर

मध्य प्रदेश में पूर्व विधायक ने भाजपा से इस्तीफ़ा दिया. उत्तर प्रदेश के बलिया में पथराव के दौरान पुलिसकर्मी घायल. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बंद का ख़ास असर नहीं रहा. बिहार में विभिन्न ट्रेनें रोकी गईं. जगह-जगह चक्काजाम.

जन गण मन की बात, एपिसोड 299: मीडिया में दलित शब्द का प्रयोग और सोशल मीडिया मॉनिटरिंग

जन गण मन की बात की 299वीं कड़ी में विनोद दुआ सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा मीडिया को 'दलित' शब्द के इस्तेमाल से बचने के आग्रह और विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा सोशल मीडिया पर की जा रही मॉनिटरिंग पर चर्चा कर रहे हैं.

‘दलित’ शब्द की जगह अनुसूचित जाति का इस्तेमाल करे मीडिया: सूचना प्रसारण मंत्रालय

बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले को आधार मानकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सभी मीडिया संस्थानों को परामर्श पत्र भेज कर कहा है कि खबरों में दलित शब्द की जगह अनुसूचित जाति शब्द का प्रयोग किया जाना चाहिए.

मैं भी ‘अर्बन नक्सल’ हूं!

दलितों और पिछड़ों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार कर, उन पर ‘माओवादी’ का लेबल लगाकर सरकार दलित महत्वकांक्षाओं का अपमान करती है, साथ ही दूसरी ओर दलित मुद्दों के प्रति संवेदनशील दिखने का स्वांग भी रचती है.

ग्राउंड रिपोर्ट: क्या मिर्चपुर का ज़ख़्म कभी भर सकेगा?

21 अप्रैल 2010 को हरियाणा के हिसार ज़िले के मिर्चपुर गांव में जाट समुदाय के लोगों ने दलितों के दर्जनों घरों में आग लगा दी थी और दो लोगों को ज़िंदा जला दिया था. हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने 33 लोगों को दोषी ठहराया और 12 लोगों को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई है.

‘प्रतिरोध की हर आवाज़ का अपराधीकरण कर रही है सरकार’

वीडियो: भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में देश के विभिन्न हिस्सों से हुई सामाजिक कार्यकताओं की गिरफ्तारी पर द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.

संपादकीय: सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी देश में लोकतंत्र की चिंताजनक स्थिति का संकेत है

जैसे-जैसे 2019 आम चुनाव क़रीब आ रहे हैं, एक नई कहानी को बढ़ावा दिया जा रहा है- कि दुश्मन देश के अंदर ही हैं और ये न केवल सरकार और उसकी नीतियों, बल्कि देश के ही ख़िलाफ़ हैं.

जन गण मन की बात, एपिसोड 296: नोटबंदी पर आरबीआई की रिपोर्ट और सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी

जन गण मन की बात की 296वीं कड़ी में विनोद दुआ नोटबंदी पर आरबीआई की ​हालिया रिपोर्ट और भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में देश के विभिन्न हिस्सों से गिरफ़्तार किए गए सामाजिक कार्यकर्ताओं पर चर्चा कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट का कार्यकर्ताओं को नज़रबंद रखने का आदेश, कहा- असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व

अदालत ने भीमा-कोरेगांव हिंसा के करीब नौ महीने बाद हुई गिरफ़्तारियों पर महाराष्ट्र पुलिस से सवाल करते हुए गिरफ़्तार कार्यकर्ताओं को छह सितंबर तक जेल न भेजते घर में ही नज़रबंद रखने का आदेश दिया है.

सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी मामले में मानवाधिकार आयोग का महाराष्ट्र सरकार को नोटिस

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने महाराष्ट्र के पुलिस प्रमुख को भी नोटिस जारी किया है. आयोग ने कहा है कि प्रतीत होता है कि पांच कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी में नियमों का ठीक तरीके से पालन नहीं किया गया है. वहीं, गौतम नवलखा को महाराष्ट्र पुलिस ने दस्तावेजों की अनूदित प्रति उपलब्ध करा दी है.

कौन हैं वे सामाजिक कार्यकर्ता जो महाराष्ट्र पुलिस के निशाने पर हैं

महाराष्ट्र पुलिस ने मंगलवार को देश के विभिन्न हिस्सों से कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया और कइयों के घरों पर छापेमारी की. इन सभी का सामाजिक आंदोलनों और मानवधिकार से जुड़े रहने का इतिहास रहा है.

सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ रोमिला थापर और चार अन्य पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका पर बुधवार को ही सुनवाई करने का अनुरोध किया गया था. न्यायालय दोपहर पौने चार बजे सुनवाई करेगा. वहीं, मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर दोपहर सवा दो बजे दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होगी.

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