पद्मश्री से सम्मानित 85 वर्षीय शमसुर रहमान फ़ारूक़ी हाल ही में कोरोना वायरस संक्रमण से उबरे थे. उन्हें 16वीं सदी में विकसित हुई उर्दू में कहानी सुनाने की कला ‘दास्तानगोई’ को पुनर्जीवित करने के लिए भी जाना जाता है.
वीडियो: दास्तानगोई की कला और हिंदुस्तान में साल 2005 के बाद इसके रिवाइवल पर दास्तानगो हिमांशु बाजपेयी से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.
उर्दू में लंबी कहानियां कहने की कला ‘दास्तानगोई’ की प्रस्तुति देने के लिए अंकित पुणे गए हुए थे.