महमूद प्राचा दिल्ली दंगों से जुड़े कई मामलों में वकील हैं. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल टीम ने मंगलवार से पहले दिसंबर 2020 में भी प्राचा के दफ़्तर पर छापेमारी की थी. इस दौरान सर्च टीम ने उनके कंप्यूटर और विभिन्न दस्तावेज़ों को जब्त करने पर जोर दिया, जिनमें केस की विस्तृत जानकारी थी.
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल टीम ने दिल्ली दंगों के आरोपियों की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता महमूद प्राचा के ऑफिस पर छापेमारी की थी. सर्च टीम ने प्राचा के कंप्यूटर और विभिन्न दस्तावेज़ों को ज़ब्त किए थे, जिनमें केस की विस्तृत जानकारी है.
वरिष्ठ अधिवक्ता महमूद प्राचा दिल्ली दंगों के आरोपियों की अदालत में पैरवी कर रहे हैं. प्राचा के सहयोगी वकीलों का आरोप है कि पुलिस की यह छापेमारी सभी रिकॉर्ड और दस्तावेज़ नष्ट करने का प्रयास था.
फरवरी में दिल्ली में हुई हिंसा मामले में जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र आसिफ़ इक़बाल तन्हा को 20 मई को गिरफ़्तार किया गया था. उनकी ज़मानत याचिका रद्द करते हुए स्थानीय अदालत के जज ने कहा कि सीएए के नाम पर हंगामेदार प्रदर्शन दिखाते हैं कि यह देश के ख़िलाफ़ असंतोष पैदा करने के उद्देश्य से किए गए थे.
दिल्ली दंगा मामले में सामने आए दो वॉट्सऐप ग्रुप में से एक 'हिंदू कट्टर एकता ग्रुप' है, जहां 'मुल्लों को मारने' के दावे किए गए हैं. दूसरी ओर दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप में सीएए विरोधी प्रदर्शन, हिंसा न करने और संविधान में भरोसा रखने की बातें हुई हैं. दिल्ली पुलिस ने दूसरे ग्रुप के कई सदस्यों को दंगों का साज़िशकर्ता बताया है.
दिल्ली दंगा मामले में दायर एक चार्जशीट में दावा किया गया था कि 8 जनवरी को हुई एक बैठक में डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के समय हिंसा की योजना बनाई गई थी. पिछले दिनों एक अन्य आरोपपत्र में पुलिस ने इसे हटाते हुए कहा है कि सीएए विरोधी प्रदर्शन 2019 आम चुनाव में भाजपा की जीत से खोई ज़मीन पाने के लिए बड़े पैमाने दंगे करवाने की 'आतंकी साज़िश' का हिस्सा थे.