वीडियो: बीते फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान कम से कम 14 मस्जिदों और एक सूफी दरगाह को जला दिया गया था. अब ज़्यादातर मस्जिदों की मरम्मत का काम पूरा हो चुका है.
जो लोग ये कहते हैं कि अगर निर्दोष होगा तो अपने आप बाहर आ जाएगा, उनको मैं कह दूं, क्यों न आपको साल भर के लिए जेल में बंद कर दिया जाए? क्यों न देश के हर नागरिक को 18 साल का होते ही साल भर के लिए जेल में बंद कर दिया जाए. हम सब निर्दोष हैं, बाहर आ ही जाएंगे
दिल्ली पुलिस ने दंगा मामले में गवाही देने वाले 15 सार्वजनिक गवाहों ने जान को ख़तरा बताया था, जिसके चलते छद्मनामों का इस्तेमाल कर उनकी पहचान गुप्त रखी गई थी. पिछले दिनों अदालत में दाख़िल पुलिस की 17,000 पन्नों की चार्जशीट में इन सभी के नाम-पते सहित पूरी पहचान ज़ाहिर कर दी गई थी.
दिल्ली पुलिस ने कहा था कि दिल्ली दंगा मामले में गवाही देने वाले 15 सार्वजनिक गवाहों ने जान को ख़तरा बताया है, जिसके चलते छद्मनामों का इस्तेमाल कर उनकी पहचान गुप्त रखी गई है. पिछले दिनों दायर पुलिस की 17,000 पन्नों की चार्जशीट में इन सभी के नाम-पते सहित पूरी पहचान ज़ाहिर कर दी गई है.
अदालत में दाख़िल दिल्ली पुलिस की एक चार्जशीट के अनुसार, ‘हिंदू कट्टर एकता’ नाम का वॉट्सऐप ग्रुप कथित तौर पर मुस्लिम समुदाय से बदला लेने के लिए 25 फरवरी को बनाया गया था.
जनता के हर विरोध को अपराध ठहराया जा रहा है. वह दिन दूर नहीं है जब सरकार भारतीयों को यह बताएगी कि उनका बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ बोलना, किसानों का सरकार के ख़िलाफ़ खड़े होना, सब कुछ अंतरराष्ट्रीय साज़िश है. भारत में जन्म लेना भी एक षड्यंत्र घोषित किया जा सकता है.
दिल्ली हिंसा से जुड़े मामले में यूएपीए के तहत गिरफ़्तार छात्रा गुलफिशा फातिमा ने स्थानीय अदालत की सुनवाई में आरोप लगाया कि जेल में उनके साथ भेदभाव होता है, सांप्रदायिक टिप्पणियां की जाती हैं. ऐसे में अगर वे ख़ुद को कोई नुक़सान पहुंचाती हैं, तो जेल प्रशासन इसका ज़िम्मेदार होगा.
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान दो स्कूलों की संपत्ति नष्ट करने के आरोप में गिरफ़्तार 28 साल के इलियास को पांच महीने से अधिक समय बाद ज़मानत पर रिहा किया गया है. उनका आरोप है कि उन्हें मुसलमान होने की वजह से निशाना बनाया गया.
नताशा नरवाल की ज़मानत मंज़ूर करते हुए अदालत ने कहा कि पुलिस ओर से दिखाए गए वीडियो में वह नजर तो आ रही हैं, लेकिन इसमें ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है, जो यह संकेत देता हो कि वह हिंसा में शामिल थीं या उन्होंने हिंसा भड़काई हो.
सीएए विरोधी प्रदर्शनों के लिए दर्ज एफआईआर में प्रदर्शनों को 'राष्ट्रविरोधी' और 'विश्वासघाती' बताना निष्पक्ष नहीं है. इसमें औपनिवेशिक प्रशासन द्वारा चलाए जाने वाले मुक़दमों की गूंज सुनाई देती है.
दिल्ली पुलिस ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी में हुए दंगों के संबंध में 10,000 पन्नों की चार्जशीट दाख़िल की. इसमें 747 गवाहों को सूचीबद्ध किया गया है और उनमें से 51 के बयान सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए गए हैं.
वीडियो: जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर ख़ालिद की गिरफ़्तारी पर कार्यकर्ताओं के एक समूह ने बयान जारी कर दिल्ली पुलिस की निंदा करते हुए कहा है कि शांतिपूर्ण सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को निशाना बनाने के लिए पुलिस अपनी दुर्भावनापूर्ण जांच के ज़रिये उन्हें फंसा रही है.
जामिया मिलिया इस्लामिया छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष शिफ़ा उर रहमान को दिल्ली दंगों के सिलसिले में यूएपीए के तहत गिरफ़्तार किया गया है. रहमान ने अदालत के समक्ष याचिका दायर कर कहा है कि जेल प्रशासन उन्हें उनके वकील से मिलने नहीं दे रहा है.
आईपीएस अधिकारियों ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर दंगे से जुड़े सभी मामले की दोबारा निष्पक्षता से जांच कराने का अनुरोध किया है. पत्र में कहा गया है कि नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध कर रहे लोगों को इसमें फंसाना दुखद है. बिना किसी ठोस साक्ष्य के इन पर आरोप लगाना निष्पक्ष जांच के सभी सिद्धांतों का उल्लंघन है.
गिरफ़्तारी पर कार्यकर्ताओं के एक समूह ने बयान जारी कर दिल्ली पुलिस की निंदा करते हुए कहा कि शांतिपूर्ण सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को निशाना बनाने के लिए पुलिस अपनी दुर्भावनापूर्ण जांच के ज़रिये उन्हें फंसा रही है.