केदारनाथ सिंह: वो कवि जो ‘तीसरे’ की खोज में पुलों से गुज़र गया

केदारनाथ सिंह की कविताओं में सबसे अधिक आया हुआ बिंब वह है जो 'जोड़ता' है. उन्हें वह हर चीज़ पसंद थी जो जोड़ती है. वो चाहे सड़क हो या पुल, शब्द हो या सड़क, जो लोगों को मिलाती है, उनकी आंखों में एक छवि बनकर तैरती रहती और फिर पिघलकर कविता में ढल जाती.

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में चल रहा है फ़र्ज़ी आत्मसमर्पण का खेल

2003 में महाराष्ट्र सरकार ने नक्सल-विरोधी अभियान के तहत गांवों को 'नक्सल-मुक्त' बनाने के लिए इनाम देना शुरू किया. इस प्रक्रिया में आम गांव वालों को नक्सली बताकर फ़र्ज़ी आत्मसमर्पण करवाया जा रहा है.

मीडिया बोल, एपिसोड 41: फेक न्यूज़ और डिजिटल मीडिया पर अंकुश की तैयारी

मीडिया बोल की 41वीं कड़ी में उर्मिलेश सोशल मीडिया पर वायरल हुए अररिया के वीडियो, उपचुनाव परिणाम की मीडिया कवरेज और डिजिटल मीडिया पर अंकुश को लेकर दिए स्मृति ईरानी के हालिया बयान पर चर्चा कर रहे हैं.

पढ़ाई छोड़ने वालों में दलित और मुस्लिम बच्चों की संख्या सबसे ज़्यादा: सरकार

मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री ने बताया कि प्राथमिक शिक्षा में अनुसूचित जाति के बच्चों की औसत ड्रॉप आउट दर 4.46, अनुसूचित जनजाति की 6.93 और मुस्लिम समुदाय की 6.54 फीसदी है.

‘मोदी मुक्त भारत’ बनाने के लिए सभी विपक्षी दलों को साथ आना होगा: राज ठाकरे

मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि मोदी सरकार को सत्ता से बाहर करने के बाद अगर नोटबंदी को लेकर जांच के आदेश दिए गए तो यह 1947 के बाद से सबसे बड़े घोटाले के रूप में सामने आ सकता है.

योगी के मंत्री ने भाजपा पर साधा निशाना, बोले- ये लोग 325 सीटों के नशे में पागल घूम रहे हैं

यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि योगी सरकार सिर्फ मंदिर पर ध्यान दे रही है न कि गरीबों पर, जिन्होंने वोट देकर उसे सत्ता में पहुंचाया.

स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा है गुजरात: नीति आयोग

नीति आयोग उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा, 'शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में गुजरात की उपलब्धियां उसकी अन्य क्षेत्रों की उपलब्धियों की तरह नहीं हैं.'

वर्ष 1976 के बाद राजनीतिक दलों को मिले विदेशी चंदे की नहीं होगी जांच

विदेशी चंदा नियमन क़ानून में संशोधन को लोकसभा ने बिना किसी चर्चा के पारित कर दिया गया. भाजपा और कांग्रेस को मिलेगी बड़ी राहत.

हमारे ‘महान’ खिलाड़ी मुश्किल समय में जनता के साथ क्यों नहीं खड़े होते?

हमारे महान खिलाड़ियों को जनता सिर-आंखों पर बैठाती है, मगर जनता पर जब ऐसी कोई त्रासदी बरपा करती है- जिसके लिए सरकार या समाज का एक वर्ग ज़िम्मेदार हो तो वे ऐसे विलुप्त हो जाते हैं, गोया इस दुनिया में रहते न हों.