झारखंड: धनबाद में जलती खदान में ज़मीन धंसने से महिला की मौत

घटना धनबाद के झरिया टाउन स्थित भारत कोकिंग कोल लिमिटेड की कोयला खदान में हुई. यहां की कोयला खदानों में वर्षों से आग लगी हुई है, जो बुझाई जा सकी है. यहां सभी बस्तियों को हटाने का आदेश हो चुका है, लेकिन लोग इलाके को छोड़ने को तैयार नहीं हैं.

झारखंडः हत्या के आरोपी को भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला, 158 लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज

झारखंड के गिरिडीह ज़िले के पिपराटांड़ गांव का मामला. बीते 13 जून को 150 लोगों की भीड़ ने हत्या के आरोपी सुरेश मरांडी के घर पर हमला कर उनके घर को आग लगा दी थी और उन्हें पीट-पीटकर मार डाला था. उनके तीन संबंधियों के भी घर जला दिए गए थे.

झारखंड का झरिया भारत का सबसे प्रदूषित शहर: ग्रीनपीस रिपोर्ट

पर्यावरण को लेकर काम करने वाली संस्था ग्रीन पीस इंडिया ने 287 शहरों के विश्लेषण के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है. दिल्ली प्रदूषण के मामले में देश में 10वें नंबर पर है, जबकि शीर्ष 10 प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के छह शहर हैं.

झारखंड पुलिस ने नागरिकता संशोधन के प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ दर्ज राजद्रोह का मामला ख़ारिज किया

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि क़ानून जनता को डराने और उनकी आवाज़ दबाने के लिए नहीं बल्कि आम जन-मानस में सुरक्षा का भाव उत्पन्न करने के लिए होता है.

झारखंड: विस्थापित महिलाओं ने राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री को अर्द्धनग्न तस्वीरें भेज इच्छामृत्यु मांगी

धनबाद में दामोदर घाटी निगम द्वारा कथित तौर पर विस्थापन के एवज में नौकरी में न मिलने के विरोध में आदिवासी महिलाओं ने अर्द्धनग्न होकर प्रदर्शन किया.

झारखंड: एक संतोषी मर गई, पर भात की बात अभी बाकी है…

ग्राउंड रिपोर्ट: सरकारी दावों के इतर झारखंड में ज़मीनी हक़ीक़त यह है कि आधार और नेटवर्क जैसी तकनीकी दिक्कतों और प्रशासन की लापरवाही के चलते बड़ी संख्या में गरीब-​​​​मज़दूर भूख से जूझने को विवश हैं.

झारखंड: कथित भूख से तीसरी मौत, बायोमेट्रिक मशीन में अंगूठा मैच न होने से दो महीने से नहीं मिला था राशन

देवघर ज़िले में 62 वर्षीय रूपलाल मरांडी की सोमवार को मौत हो गई. घर में दो दिन से नहीं जला था चूल्हा.

झारखंड: बच्ची की मौत के बाद कथित भुखमरी से रिक्शा चालक की मौत

झरिया के रिक्शा चालक बैद्यनाथ तीन साल से राशन कार्ड बनवाने के लिए सरकारी दफ्तरों का चक्कर लगा रहे थे. घर में पिछले कई दिनों से नहीं जला था चूल्हा.

कोयलांचल में ‘विनाश पर्व’

पिछले 70 साल में कोयलांचल की आग बुझाने, रेललाइन की वैकल्पिक व्यवस्था करने और झरिया-सिंदरी बचाने का कोई काम क्यों नहीं हुआ?