साल 2012 में हिमाचल प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार बीते दिनों लागू हुए नए धर्मांतरण विरोधी क़ानून जैसा एक क़ानून लाई थी, जिसे हाईकोर्ट द्वारा असंवैधानिक और मौलिक अधिकारों का हनन बताते हुए उस पर रोक लगा दी गई थी.
इस विधेयक को पिछले साल 30 अगस्त को हिमाचल प्रदेश विधानसभा में पारित किया गया था और राज्यपाल की मंज़ूरी मिली थी. इस धर्मांतरण विरोधी क़ानून में सात साल तक की कड़ी सज़ा का प्रावधान है जबकि पुराने हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता क़ानून, 2006 के तहत तीन साल की सज़ा का प्रावधान था.