नए दिशानिर्देशों के मुताबिक, कोई भी प्रोफेसर संस्थान या सरकार की सार्वजनिक आलोचना नहीं कर सकता. साथ ही शिकायत निवारण के लिए संयुक्त याचिकाओं पर हस्ताक्षर और किसी भी समस्या के लिए अदालत या प्रेस जाने पर भी अंकुश लगाया गया है. फैकल्टी सदस्यों ने इनका पुरजोर विरोध किया है.
केंद्र सरकार के नए दिशानिर्देशों के मुताबिक, राज्यों को अपने यहां के हालात के हिसाब से नाइट कर्फ्यू जैसे फैसले लेने के अधिकार होंगे, लेकिन केंद्र से चर्चा किए बग़ैर वे कंटेनमेंट ज़ोन से बाहर लॉकडाउन का फैसला नहीं ले पाएंगे.