सीबीआई और एसआईटी ने कहा कि दोनों एजेंसियों ने बताया कि साल 2016 में उन्होंने दोनों मामलों में सुनवाई पर अंतरिम रोक का आग्रह किया था, क्योंकि तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआई दोनों हत्याओं में मौका-ए-वारदात पर मिलीं गोलियों की फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतज़ार कर रही थी. इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए उनसे पूछा था कि दोनों मामलों में कब तक तहक़ीक़ात पूरी हो सकती है.
महाराष्ट्र की अपराध जांच विभाग (सीआईडी) कम्युनिस्ट नेता गोविंद पानसरे की हत्या की जांच कर रही है, जबकि अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता के रूप में चर्चित रहे नरेंद्र दाभोलकर की हत्या मामले की जांच की ज़िम्मेदारी सीबीआई को दी गई है. पुणे में दाभोलकर की हत्या साल 2013 में, जबकि कोल्हापुर में पानसरे की हत्या 2015 में कर दी गई थी.
अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त, 2013 को पुणे में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. दाभोलकर के परिवार ने कहा है कि सीबीआई को इस साज़िश के मास्टरमाइंड को खोजना होगा, वरना तर्कवादी विचारकों, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के लिए ख़तरा बना रहेगा.
महाराष्ट्र के एक स्कूल द्वारा अप्रत्याशित कदम उठाते हुए बच्चों को श्मशान भूमि की सैर पर ले जाया गया. इस सैर का मकसद समाज में श्मशान को लेकर फैली तमाम भ्रांतियों को मिटाते हुए बच्चों में वैज्ञानिक नज़रिया विकसित करना था.
सामाजिक कार्यकर्ता एवं पत्रकार गौरी लंकेश की पांच सितंबर 2017 को उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. एसआईटी ने बताया कि गिरफ़्तार आरोपी गौरी लंकेश की हत्या की साज़िश का हिस्सा है और इस मामले में 18वां आरोपी है.
सीबीआई के वकील ने अदालत को बताया कि आशंका है कि हत्यारों ने हत्या के बाद हथियार ठाणे की खाड़ी में फेंक दिया, इसकी तलाश के लिए विदेशी एजेंसी की मदद ली जा रही है.
हत्यारों को जिस जगह कथित तौर पर प्रशिक्षण दिया गया था, वो जगह सनातन संस्था और इससे संबद्ध हिंदू जनजागृति समिति से जुड़े हुए एक बिजनेसमैन की है.
वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या मामले में गिरफ्तार शरद कालसकर ने 14 पेज के कबूलनामे में तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पनसारे की हत्या में भी शामिल होने की बात स्वीकार की है.
सीबीआई का कहना है कि गोविंद पानसरे की हत्या के अलावा शरद कालस्कर का नाम सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर और गौरी लंकेश की हत्या के मामले में भी सामने आया था और इन मामलों में उसकी गिरफ़्तारी भी हो चुकी है.
विशेष लोक अभियोजक ने अदालत को बताया कि गिरफ़्तार वकील संजीव पुनालेकर ‘सनातन संस्था’ से भी जुड़े हुए हैं और उन्होंने मामले में अन्य आरोपियों के साथ साज़िश रची थी. वहीं उनका सहायक विक्रम भावे 2008 के ठाणे बम विस्फोट मामले में दोषी है.
सीबीआई ने बताया कि वकील संजीव पुनालेकर और सनातन संस्था के सदस्य विक्रम भावे को गिरफ़्तार कर लिया गया है. पुनालेकर, वकीलों के एक संगठन हिंदू विद्धिन्य परिषद के अध्यक्ष हैं जो कि सनातन संस्था का ही एक अनुसांगिक संगठन है. वहीं, विक्रम भवे पुनालेकर के ऑफिस में काम करता है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे हत्या मामलों की धीमी जांच पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के पास गृह सहित 11 विभाग हैं लेकिन इस मामले को देखने के लिए उनके पास वक़्त नहीं है.
बॉम्बे हाईकोर्ट की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि महाराष्ट्र जैसे प्रगतिशील राज्य को अपने विचारकों और तर्कवादियों पर गर्व महसूस करना चाहिए.
कन्नड़ साहित्यकार एमएम कलबुर्गी की पत्नी ने उनकी हत्या की एसआईटी जांच की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. शीर्ष अदालत ने कहा कर्नाटक हाईकोर्ट की धारवाड़ बेंच की निगरानी में होगी एसआईटी जांच.
कोर्ट ने सीबीआई को जनवरी के पहले सप्ताह में यह सूचित करने का निर्देश दिया कि यदि इन सभी मामलों में एक समानता नज़र आती है तो उसे सभी मामलों की जांच क्यों नहीं करनी चाहिए.