कोरोना महामारी के बीच भारत के न्यायालयों में लंबित मामलों में अत्यधिक वृद्धि

नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड के आंकड़ों के मुताबिक, 31 दिसंबर 2019 से 31 दिसंबर 2020 के बीच सुप्रीम कोर्ट में 10.35 फ़ीसदी, 25 हाईकोर्ट में 20.4 फ़ीसदी और जिला न्यायालयों में 18.2 फ़ीसदी लंबित मामले बढ़े हैं.

हाईकोर्ट और ज़िला अदालतों में 37 लाख मामले 10 साल से भी ज़्यादा समय से लंबित: एनजेडीजी डेटा

नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड के आंकड़ों के मुताबिक देश भर की विभिन्न अदालतों में 6.60 लाख मामले 20 साल से ज़्यादा समय और 1.31 लाख मामले तीन दशकों यानी कि 30 साल से भी ज़्यादा समय से लंबित हैं.

अदालतों ने मौत की सज़ा के अधिकतर फ़ैसले ‘समाज के सामूहिक विवेक’ के आधार पर लिए: रिपोर्ट

अपराध सुधार के लिए काम करने वाले एक समूह के अध्ययन में सामने आया है कि दिल्ली की निचली अदालतों द्वारा साल 2000 से 2015 तक दिए गए मृत्युदंड के 72 फीसदी फ़ैसले समाज के सामूहिक विवेक को ध्यान में रखते हुए लिए गए थे.

देश की निचली अदालतों में 10 साल से अधिक पुराने 23.90 लाख मामले लंबित: सरकार

लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में विधि एवं न्याय मंत्रालय की ओर से पेश आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में 59,867 मामले लंबित हैं, जबकि हाईकोर्ट में 44,76,625 मामले और ज़िला एवं निचली अदालतों में 3.14 करोड़ मामले लंबित हैं.