पुण्यतिथि विशेष: उस्ताद ऐसे बनारसी थे जो गंगा में वज़ू करके नमाज़ पढ़ते थे और सरस्वती को याद कर शहनाई की तान छेड़ते थे. इस्लाम में संगीत के हराम होने के सवाल पर हंसकर कहते थे, 'क्या हुआ इस्लाम में संगीत की मनाही है, क़ुरान की शुरुआत तो 'बिस्मिल्लाह' से ही होती है.'
कुंवर नारायण के काव्य में अवध की विद्रोही चेतना, गंगा जमुनी तहजीब, नए-पुराने के बीच समन्वय और भौतिकता व आध्यात्मिकता के बीच समन्वय की सोच विद्यमान है.
हिंदी के कुछ लेखकों की भारतीयता वैश्विकता विरोध में चली गई है. कुंवर नारायण के साथ ऐसा नहीं है. वे पूर्व-पश्चिम का कोई द्वंद्व न देखते हैं, न दिखाते हैं. उनके यहां ‘कोई दूसरा नहीं’ है.
ज्ञानपीठ और पद्मभूषण से सम्मानित कुंवर नारायण जुलाई महीने में ब्रेन हेमरेज के बाद से कोमा में थे.